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Deepawali : दीपपर्व पर घर, प्रतिष्ठान को खूबसूरत बनाना है तो रंग-रोगन के इस बदलते ट्रेंड को भी जानें Prayagraj News

दीपोत्सव के सीजन में रंगाई-पुताई के ट्रेंड में बदलाव नजर आ रहा है। लोग अपने घरों व प्रतिष्ठानों को चमकाने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में बदलते दौर के साथ और आकर्षक बनाया जा सकता है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 09:09 AM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 03:29 PM (IST)
Deepawali : दीपपर्व पर घर, प्रतिष्ठान को खूबसूरत बनाना है तो रंग-रोगन के इस बदलते ट्रेंड को भी जानें Prayagraj News
Deepawali : दीपपर्व पर घर, प्रतिष्ठान को खूबसूरत बनाना है तो रंग-रोगन के इस बदलते ट्रेंड को भी जानें Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। दीपावली का त्योहार आने पर किसी जमाने में घर सफेदी की चमकार से रोशन हो उठते थे। इस सफेदी पर दशकों तक चूने का राज रहा, लेकिन बदलते दौर में काफी कुछ बदल गया है। रंग-रोगन अब डिजायनर पेंट व ऑयल पेंट से कराए जाने लगे हैं। डिस्टेंपर और टेक्सर पेंट में ग्राहक अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं। व्यापारियों के अनुमान के मुताबिक दीपावली तक करीब 20 करोड़ का कारोबार होने के आसार हैं। दीपावली से दो-तीन सप्ताह पहले से घरों में रंगाई पुताई शुरू हो जाती है।

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ग्राहकों की पसंद और मांग के अनुसार बाजार में पेंट की नई वेरायटी उपलब्ध

दीपोत्सव से पहले हर किसी में अपने घर व प्रतिष्ठान की रंगाई-पुताई कराने की होड़ मची है। ग्राहकों की पसंद और मांग के अनुसार बाजार में पेंट की नई वेरायटी आ गई है। प्रयागराज में कुंभ के दौरान 'पेंट माई सिटीÓ के नए प्रयोग ने टेक्सर पेंट की ओर ग्राहकों का रुझान बढ़ा दिया है। खासतौर से यह पेंटिंग कमरों की सीलिंग में कराई जा रही है। डिजायनर पेंट, ऑयल पेंट व डिस्टेंपर, वॉल स्टीकर की मांग भी अधिक है। जबकि चूना, पीली मिट्टी, लाल मिट्टी का कारोबार सामान्य है।

 

टेक्सर पेंट की मांग बढ़ी

कटरा में मनमोहन पार्क चौराहा स्थित पेंट कारोबारी रुपेश तिवारी बताते हैं कि डिजायनर पेंट और टेक्सर की हर वेरायटी मंगाई है। सभी ब्रांडेड पेंट के डिपो अब प्रयागराज में ही हैं। बदलते जमाने में रंगाई पुताई भी बदल गई है। टेक्सर पेंट की मांग प्रयागराज में पेंट माई सिटी से प्रेरित होकर बढ़ी है।

बदलाव की ओर बढ़ रहे ग्राहक

जानसेनगंज के पेंट व्यापारी प्रशांत गुप्ता कहते हैं कि अब लोग वॉल पेंटिंग, वॉल स्टीकर और डिजायनर पेंट की मांग अधिक कर रहे हैं। डिस्टेंपर की मांग अपनी जगह कायम है। चूने का प्रभाव इसलिए कम हो गया है क्योंकि इसकी लाइफ एक साल रहती है जबकि पेंट तीन से पांच साल तक कायम रहता है।

चूने का कारोबार कुछ डाउन हुआ

चूने के थोक व्यापारी राम प्रसाद तिवारी का कहना है कि चूना, पीली मिट्टी, लाल मिट्टी का व्यवसाय साल भर तक चलता ही रहता है। यह बात और हैै कि इसका इस्तेमाल अब पान के साथ खाने में और सड़क पर छिड़काव में अधिक हो रहा है। लेकिन, दीपोत्सव के सीजन में घरों में इससे रंगाई पुताई का सवाल है तो बिक्री कुछ कम हो रही है।


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