कुंभ के दौरान कुल्हड़ में चाय और पत्तल में मिलेगा खाना
एक अनुमान के मुताबिक मेले में रोज लगभग आठ से दस लाख कुल्हड़ और दो से ढाई लाख दोना-पत्तल के इस्तेमाल होगा। विशेष स्नान पर्वो पर यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो जाएगा।
By Edited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 10:00 AM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 10:00 AM (IST)
प्रयागराज : संगम की रेती पर होने जा रहे अलौकिक कुंभ 2019 में इको फ्रेंडली बयार भी बहेगी। संगम क्षेत्र नो पॉलीथिन जोन रहेगा। प्रशासन ने प्लास्टिक की जगह मिट्टी के कुल्हड़ और दोना-पत्तल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का फैसला किया है। 'क्लीन कुंभ, ग्रीन कुंभ' अभियान के तहत इस मुहिम को सफल बनाने के लिए मेला प्रशासन ने मेले में आने वाले श्रद्धालुओं और साधु-संतों, विभिन्न अखाड़ों को भी जागरूक करने की योजना बनाई है।
'क्लीन कुंभ, ग्रीन कुंभ' के तहत जिलों के ही नहीं, दूसरे राज्यों मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के लोगों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओर से मीरजापुर, सोनभद्र, चंदौली, बांदा, चित्रकूट, महोबा, उरई, जालौन, प्रतापगढ़, फतेहपुर, रायबरेली, जौनपुर, कौशांबी, भदोही और मध्य प्रदेश में रीवा, सीधी, सतना, पन्ना, सागर आदि जिलों के महिला और पुरुष स्वयं सहायता समूहों को भारी तादाद में दोना-पत्तल बनाने के लिए कहा जा रहा है। इन जिलों के डीएम व सीडीओ को पत्र भी भेजा जा रहा है। कितने समूह कितने दोना-पत्तल की आपूर्ति कर सकते हैं, इसका भी हिसाब-किताब हो रहा है। यही नहीं, इन जिलों के कुम्हारों व दूसरे राज्यों के कुम्हारों से कुल्हड़ की आपूर्ति के लिए भी संपर्क किया जा रहा है।
आठ लाख कुल्हड़ व दो लाख दोना-पत्तल का होगा इस्तेमाल :
एक अनुमान के मुताबिक मेले में रोज लगभग आठ से दस लाख कुल्हड़ और दो से ढाई लाख दोना-पत्तल के इस्तेमाल होगा। विशेष स्नान पर्वो पर यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो जाएगा। कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर इस तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं। हमारी ख्वाहिश है कि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को इको फ्रेंडली माहौल मिले। 13 अखाड़े और पांच हजार संगठन आएंगे : कुंभ मेलाधिकारी ने बताया कि साधु-संतों के 13 अखाड़े और पांच हजार से ज्यादा धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक संगठन कुंभ मेले के दौरान इलाहाबाद आएंगे।
प्लास्टिक मुक्त कुंभ मेले का हो आयोजन :
योजना है कि इन सभी साधु-संतों और संगठनों की सहायता से प्लास्टिक मुक्त कुंभ मेला आयोजित किया जाए। मेला परिसर को प्लास्टिक मुक्त रखना बड़ी चुनौती है, और यह श्रद्धालुओं की मदद से ही पूरा हो सकता है।
'क्लीन कुंभ, ग्रीन कुंभ' के तहत जिलों के ही नहीं, दूसरे राज्यों मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के लोगों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओर से मीरजापुर, सोनभद्र, चंदौली, बांदा, चित्रकूट, महोबा, उरई, जालौन, प्रतापगढ़, फतेहपुर, रायबरेली, जौनपुर, कौशांबी, भदोही और मध्य प्रदेश में रीवा, सीधी, सतना, पन्ना, सागर आदि जिलों के महिला और पुरुष स्वयं सहायता समूहों को भारी तादाद में दोना-पत्तल बनाने के लिए कहा जा रहा है। इन जिलों के डीएम व सीडीओ को पत्र भी भेजा जा रहा है। कितने समूह कितने दोना-पत्तल की आपूर्ति कर सकते हैं, इसका भी हिसाब-किताब हो रहा है। यही नहीं, इन जिलों के कुम्हारों व दूसरे राज्यों के कुम्हारों से कुल्हड़ की आपूर्ति के लिए भी संपर्क किया जा रहा है।
आठ लाख कुल्हड़ व दो लाख दोना-पत्तल का होगा इस्तेमाल :
एक अनुमान के मुताबिक मेले में रोज लगभग आठ से दस लाख कुल्हड़ और दो से ढाई लाख दोना-पत्तल के इस्तेमाल होगा। विशेष स्नान पर्वो पर यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो जाएगा। कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर इस तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं। हमारी ख्वाहिश है कि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को इको फ्रेंडली माहौल मिले। 13 अखाड़े और पांच हजार संगठन आएंगे : कुंभ मेलाधिकारी ने बताया कि साधु-संतों के 13 अखाड़े और पांच हजार से ज्यादा धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक संगठन कुंभ मेले के दौरान इलाहाबाद आएंगे।
प्लास्टिक मुक्त कुंभ मेले का हो आयोजन :
योजना है कि इन सभी साधु-संतों और संगठनों की सहायता से प्लास्टिक मुक्त कुंभ मेला आयोजित किया जाए। मेला परिसर को प्लास्टिक मुक्त रखना बड़ी चुनौती है, और यह श्रद्धालुओं की मदद से ही पूरा हो सकता है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें