वर्क लोड से लोको पायलट व गार्डों की सेहत पर बीमारियों का लगा ब्रेक
लोको पायलट व गार्डों की सेहत वर्कलोड की वजह से खराब हो रही है। साल भर में कई बीमार हुए हैं।
प्रयागराज : वर्क लोड के चलते तय समय से अधिक काम करने, समुचित विश्राम न मिलने तथा खान-पान का समुचित प्रबंध नहीं होने से ट्रेन परिचालन में लगे लोको पायलट (ड्राइवर) व गार्डों के सेहत संबंधी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। किसी को हृदयरोग की समस्या है। कोई ब्लड प्रेशर का शिकार है तो कोई मानसिक तनाव से गुजर रहा है और किसी को कमर दर्द एवं आंख की बीमारी की दिक्कत हो गई है।
ट्रेनों के संचालन में ड्राइवर व गार्ड अहम होते हैं, इसलिए उन्हें शारीरिक रूप से फिट होना चाहिए पर ऐसा है नहीं। उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) में ही गार्ड व ड्राइवर के सैकड़ों पद खाली हैं। उपलब्ध स्टाफ पर काम का बोझ अधिक है। 2017 से सितंबर 2018 के बीच 51 ड्राइवरों को हृदय रोग, 12 को कमर दर्द, 23 को मानसिक तनाव एवं आंख में दिक्कत की शिकायत आई। उन्हें ट्रेन परिचालन से हटाकर दूसरे कार्यों में लगाया गया। करीब 43 गार्ड हृदयरोग, मानसिक तनाव, कमर दर्द समस्या से पीडि़त मिले, उनसे भी दूसरे विभागों में काम लिया जा रहा है।
सिर्फ आठ घंटे ड्यूटी का नियम :
नियम है कि रनिंग स्टाफ (गार्ड, ड्राइवर) आठ घंटे से ज्यादा ड्यूटी नहीं करें। रेलवे बोर्ड ने 2017 में ऐसा आदेश भी जारी किया था। व्यवहार में ऐसा होता नहीं होता। ड्राइवर व गार्ड आमतौर पर 12 से 16 घंटे ड्यूटी करते हैं। कई बार हालात ऐसे बनते हैं कि थकान से बेहाल गार्ड अथवा लोको पायलट ड्यूटी से इन्कार कर देते हैं।
एनसीआर मेंस यूनियन महामंत्री ने कहा :
नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन के महामंत्री आरडी यादव कहते हैं कि गार्ड व ड्राइवरों का पद खाली होने से मौजूदा कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ा है। वह गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। यदि खाली पदों को जल्द नहीं भरा गया और आठ घंटे ड्यूटी के नियम सख्ती से लागू नहीं हुआ तो हमारा संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
कहां खाली हैं कितने पद :
इलाहाबाद मंडल
-लोको पायलट-
कुल पद कार्यरत खाली
2486 1516 970
-गार्ड-
कुल पद कार्यरत खाली
1644 945 699
झांसी मंडल
-लोको पायलट-
कुल पद कार्यरत खाली
1176 934 242
-गार्ड-
कुल पद कार्यरत खाली
894 507 387
आगरा मंडल
-लोको पायलट-
कुल पद कार्यरत खाली
619 510 109
-गार्ड-
कुल पद कार्यरत खाली
4281 2960 1321
ड्राइवर व गार्डों को कोई दिक्कत नहीं है, न ही उनसे आठ घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा रहा है। अगर वह काम अधिक करते हैं तो उन्हें ओवरटाइम मिलता है। रेस्ट रूम एसी कराने के साथ उनके पसंद का खाना दिया जाता है।
-गौरव कृष्ण बंसल, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी उत्तर मध्य रेलवे