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मत जाओ, हे राम अयोध्या छोड़ के तुम..

शहर में रामलीलाओं की धूम है। कहीं राम की बरात निकल रही है तो कहीं विदाई हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Oct 2021 01:09 AM (IST)Updated: Sun, 10 Oct 2021 01:09 AM (IST)
मत जाओ, हे राम अयोध्या छोड़ के तुम..

जासं, प्रयागराज : श्री महंत बाबा हाथी राम पजावा रामलीला कमेटी की ओर से चल रहे आयोजन में शनिवार को राम वनगमन की लीला ने सभी की आंखे नम कर दीं। मत जाओ, मत जाओ, हे राम अयोध्या छोड़कर तुम मत जाओ.. गीत ने सभी को भावुक कर दिया। रविद्र जैन के गीत भरत चला रे अपने राजा को मनाने राजा को मनाने अपने भैया को मनाने.. पर भी खूब तालियां बजीं। रामलीला निर्देशक सचिन कुमार गुप्ता द्वारा प्रस्तुत राम वनवास की लीला ने सभी को बांधे रखा।

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इससे पहले जस्टिस 'शेखर यादव' इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्री राम, लक्ष्मण व माता जानकी की आरती की। इसमें कमेटी के मोहन जी टंडन (टंडन भैया ) अमिताभ टंडन, राजेश मल्होत्रा, अशोक मालवीय भी शामिल हुए। कमेटी की ओर से बच्चों के लिए क्विज का भी आयोजन हुआ। यूनाइटेड इंस्टिट्यूट की प्रो. शिवानी गुप्ता ने बच्चों से श्री राम पर आधारित प्रश्न पूछे। सही जवाब देने वाले दस बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया।

जनकपुर पहुंची बारात

प्रयागराज : श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी की ओर से चल रही रामलीला के तीसरे दिन अयोध्या से श्री राम की बारात जनकपुर पहुंची। लोकरीति के अनुसार मंत्रों के बीच चारों भाइयों के फेरे हुए। सीता के साथ राम, मांडवी के साथ भरत, ऊर्मिला के साथ लक्ष्मण, और श्रुतिकीर्ति के

साथ शत्रुघ्न को देख लोग अपलक निहारते रहे। लीला को आगे बढ़ाते हुए श्रीराम के राज्याभिषेक की खबर भी आई तो

कैकेयी की दासी मंथरा ने यह सूचना दी। पहले कैकेयी खुश हुई तो मंथरा ने उकसाया कि अपने पुत्र भरत को राजा बनाने के लिए दशरथ से कहो। कैकेयी उसके कुचाल में फंस गई और कोपभवन चली गई। राजा दशरथ ने उन्हें मनाने की कोशिश की। उसी समय कैकेयी ने अपने दो वरदान मांग लिए। एक से भरत को अयोध्या का राज, दूसरे से राम को चौदह वर्ष का वनवास। यह खबर समूची अयोध्या को व्याकुल कर गई। घटनाक्रम से अवगत हो राम, पिता के दिए वचन के पालन के लिए ²ढ़प्रतिज्ञ हो वन जाने के लिए माता कौशल्या से आज्ञा लेने पहुंचे। इस बीच सीता और लक्ष्मण का साथ जाने के लिए हठ भी लोगों के मन को भारी कर गया। मंगल भवन अमंगल हारी की धुन के साथ मंचन का पटाक्षेप हुआ।

श्रीराम के विवाह के बाद छाई हर तरफ खुशी

प्रयागराज : श्री कटरा राम लीला कमेटी की ओर से चल रही सम्पूर्ण रामायण की राम कथा के चौथे दिन आरती पार्षद आनंद अग्रवाल, आनंद घिल्डियाल, अजय यादव, सुधीर कुमार गुप्ता ने किया। इसके तुरंत बाद श्रीराम सहित चारों भाइयों के विवाह से हर तरफ खुशी छा गई। ढोल नगाड़े बजने लगे। बारात अयोध्या नगरी में लौटी तो प्रजा में भी उपहार बांटे गए। रविवार को सायंकाल पांच बजे बजे मुनि भरद्वाज आश्रम से आरती पूजन के बाद श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, माता जानकी को चांदी की चौकी पर बैठाकर शोभायात्रा निकाली जाएगी। यह जानकारी कमेटी महामंत्री ने दी। ऋषि मिलन व जयंत उद्धार की लीला का मंचन

प्रयागराज : श्री दारागंज रामलीला कमेटी की ओर से पंडित सियाराम शास्त्री के निर्देशन में ऋषि मिलन व जयंत उद्धार की लीला हुई। इसके पूर्व भगवान की सवारी कार से मोरी दारागंज स्थित पुरुषोत्तम लाल के आवास पहुंची। वहां राजा और उनके स्वजनों के साथ क्षेत्र वासियों ने भगवान की आरती की। उसके बाद भगवान की सवारी बड़ी कोठी पहुंची। जहां प्रभु श्री राम चित्रकूट से आगे बढ़ते हैं। रास्ते में ऋषि गणों से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। वही गुफा में जयंत राक्षस का वध करते हैं। मीडिया प्रभारी तीर्थराज पांडेय बच्चा भैया ने बताया कि रविवार को खर दूषण वध होगा। उधर श्री बाल रामलीला सिविल लाइन में चल रही है। शनिवार को मेघनाद ने लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर मूर्छित कर दिया। श्रीराम शोक के सागर में डूब गए। सुखेन वैद्य ने हनुमान जी को संजीवनी लाने के लिए भेजा। उसके बाद कुम्भकर्ण बध की लीला मुख्य आकर्षण रही। इस दौरान अमित सिंह बबलू, अजीत कुमार जायसवाल, रत्नेश मिश्र, अक्षत दुबे, अनिल गुप्त, पंकज चौधरी आदि मौजूद रहे।

श्रीराम जानकी पर हुई पुष्प वर्षा

प्रयागराज : बाघम्बरी क्षेत्र श्री रामलीला कमेटी अल्लापुर में प्रभु श्री राम लक्ष्मण के साथ राजा जनक की पुष्प वाटिका में गुरु पूजा के लिए पुष्प तोड़ने जाते हैं। वहीं जानकी जी और श्रीराम पहली बार मिले। अगले दिन धनुष यज्ञ में गुरु विश्वामित्र के साथ पहुंच कर श्री राम ने शिव धनुष भी तोड़ा। राम जानकी विबाह देख सभी देवी देवताओं ने पुष्प वर्षा की। इस मौके पर कमेटी के अध्यक्ष संजीव बाजपेयी, मंत्री रामाश्रय दुबे, महासंघ के अध्यक्ष फूल चंद्र दुबे, रामनरेश तिवारी पिडीवासा, सुरेंद्र पाठक, सुधीर द्विवेदी आदि ने भगवान की आरती की।


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