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किडनी निकालने के आरोप में डॉक्टर पर मुकदमा, हंगामा

मोतीलाल नेहरू मंडलीय (काल्विन) अस्पताल में भर्ती युवक के परिजनों ने आरोप लगाया कि चिकित्सक ने आपरेशन के नाम पर उसकी किडनी गायब कर दी है। मामले में चिकित्सक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 08:02 PM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 06:09 AM (IST)
किडनी निकालने के आरोप में डॉक्टर पर मुकदमा, हंगामा

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : मोतीलाल नेहरू मंडलीय (काल्विन) अस्पताल में एक मरीज के तीमारदारों ने किडनी निकालने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। करीब दो घंटे चले हंगामे के बाद पुलिस ने आरोपित डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी है।

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गुलाब बाड़ी अटाला निवासी मथुरा प्रसाद के 25 वर्षीय पुत्र हरिकेश की किडनी में स्टोन (पथरी) से पीड़ित थे। 18 अक्टूबर को काल्विन में सर्जन डॉ. प्रेम मोहन गुप्ता ने ऑपरेशन कर स्टोन निकाला। इसके बाद 25 अक्टूबर को मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया। कुछ दिन बाद परिवार के लोग हरिकेश को लेकर पुन: डॉक्टर के पास पहुंचे और बताया कि उसे आराम नहीं हो रहा है। डॉक्टर की सलाह पर दोबारा अल्ट्रासाउंड कराया गया तो पता चला कि उसकी किडनी में स्टोन के कुछ कण हैं, जिससे मवाद निकल रहा है। तीमारदारों का आरोप है कि डॉक्टर ने हरिकेश को स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। वहां पर सीटी स्कैन कराने पर पता चला कि मरीज के एक किडनी नहीं है। यह सुनकर हैरान घर वाले मोहल्ले के लोगों के साथ बुधवार को काल्विन अस्पताल पहुंचे। नारेबाजी करते हुए प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय के सामने हंगामा करने लगे। करीब दो घंटे तक अस्पताल में अफरा तफरी का माहौल बना रहा। शाहगंज थाने की पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पिता की तहरीर पर पुलिस ने सर्जन डॉ. प्रेम मोहन गुप्ता के खिलाफ मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया।

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बोले डॉक्टर

सर्जन डॉ. प्रेम मोहन गुप्ता ने 'दैनिक जागरण' को बताया कि हमने आपरेशन करके किडनी से स्टोन निकाला था। किडनी निकालने का आरोप बिल्कुल गलत है। मैं डॉक्टर हूं, मरीजों का बेहतर इलाज करना मेरी प्राथमिकता है, न कि ऐसा कुकृत्य करना।

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जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित

काल्विन के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वीके सिंह ने बताया कि इस अस्पताल में किडनी बदलने या निकालने के लिए कोई संसाधन ही नहीं है तो किडनी कैसे निकल सकती है। फिर भी मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की है, जिसकी रिपोर्ट तीन दिन के भीतर मांगी है।


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