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ChandraShekhar Azad: क्या आप जानते हैं, आजाद ने कौशांबी और प्रतापगढ़ में बिताया था लंबा समय

तत्कालीन संयुक्त प्रांत के पूर्ववर्ती इलाहाबाद में बलिदान होने के पूर्व तक उन्होंने लंबा समय बिताया। पड़ोसी जनपद प्रतापगढ़ और मौजूदा समय में कौशांबी और प्रतापगढ़ में भी उनकी सक्रियता थी। कई बार तो ऐसा हुआ कि दिन कौशांबी (तत्कालीन इलाहाबाद) में बीता और रात प्रतापगढ़ में।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 01:40 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 01:40 PM (IST)
ChandraShekhar Azad: क्या आप जानते हैं, आजाद ने कौशांबी और प्रतापगढ़ में बिताया था लंबा समय
मां भारती को परतंत्रता की बेडिय़ों से मुक्त कराने के लिए चंद्रशेखर आजाद कभी चैन से नहीं बैठे।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। आज 23 जुलाई को जन्मतिथि पर भारत माता की आजादी के दीवाने चंद्रशेखर आजाद को प्रयागराज में लोग शिद्दत से याद और नमन कर रहे हैं। मां भारती को परतंत्रता की बेडिय़ों से मुक्त कराने के लिए चंद्रशेखर आजाद कभी चैन से नहीं बैठे। जिंदगी की हर सांस को देश के लिए लगाया। तत्कालीन संयुक्त प्रांत के पूर्ववर्ती इलाहाबाद में बलिदान होने के पूर्व तक उन्होंने लंबा समय बिताया। पड़ोसी जनपद प्रतापगढ़ और मौजूदा समय में कौशांबी और प्रतापगढ़ में भी उनकी सक्रियता थी। कई बार तो ऐसा हुआ कि दिन कौशांबी (तत्कालीन इलाहाबाद) में बीता और रात प्रतापगढ़ में।

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महगांव में मौलवी लिकायत के यहां ठहरते थे

मौजूदा समय में कौशांबी के करारी निवासी इतिहास के शोधार्थी डा. सुरेश नागर चौधरी बताते हैं कि आजाद रात्रि विश्राम के लिए महगांव में क्रांतिकारी मौलवी लियाकत अली के यहां रुकते थे। एक दो मौके ऐसे भी रहे जब वह क्रांतिकारी दुर्गा भाभी के गांव शहजादपुर गए। इसके कोई लिखित प्रमाण नहीं हैं फिर भी इतना तय है कि वह कई बार महगांव व शहजादपुर आए। यहीं से कार्ययोजनाओं को अमली जामा पहनाया। प्रतापगढ़ में सराय मतुई नमक शायर में मथुरा प्रसाद सिंह की वह हवेली आज भी है, जहां आजाद साथियों के साथ विस्फोटक बनाते थे और प्रिंटिंग प्रेस चलाते थे। यह स्थान सई नदी के करीब है। जब भी पुलिस वाले उनकी भनक लगने पर पहुंचते वह नदी में तैर कर निकल जाते।

महिलाओं के साथ बदसलूकी मंजूर नहीं थी

आंदोलन के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से आजाद ने राम प्रसाद बिस्मिल व अन्य साथियों के साथ प्रतापगढ़ के कर्माजीतपुर द्वारिकापुर में शिवरतन बनिया के घर धावा बोला। बिस्मिल ने साफ निर्देश दिया था कि मकसद केवल रुपये हासिल करना है। किसी की जान नहीं जानी चाहिए। आजाद ने ताकीद की कि किसी महिला के साथ बदसलूकी न होने पाए। बाकी लोग मुखिया के घर में घुसे और बिस्मिल पिस्टल लेकर पहरेदारी करने लगे। इस दौरान एक महिला ने आजाद के हाथों से पिस्टल छीन ली। आजाद ने उससे कोई छीना झपटी नहीं की। बात बिगड़ सकती थी इसलिए सभी वहां से निकल गए। किसी के हाथ कुछ नहीं लगा। बाद में गांव निवासी एक साथी ने ही आजाद को उनकी पिस्टल महिला से वापस दिला दी।


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