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प्रतापगढ़ में डीएलएड प्रशिक्षु ने गांव के बच्चों को पढ़ाने का उठाया बीड़ा

प्रतापगढ़ में राहुल यादव की कक्षा में तीन दर्जन बच्चे हो गए हैं। पहली सितंबर से गांव के बच्चों को बुलाकर राहुल निश्शुल्क शिक्षा दे रहे हैं। इसकी जानकारी जब गांव के अधिकांश अभिभावकों तक पहुंची तो उनके पाल्यों के पढ़ाई को लेकर चिंता के बादल छंटने लगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 03:08 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 03:08 PM (IST)
प्रतापगढ़ में डीएलएड प्रशिक्षु ने गांव के बच्चों को पढ़ाने का उठाया बीड़ा
प्रतापगढ़ में गांव के बच्चों को राहुल निश्शुल्क शिक्षा दे रहे हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, दिल से एक पत्थर उछाल कर तो देखो यारों..। किसी शायर की लिखी यह लाइनें प्रतापगढ़ जिले के सांगीपुर विकास खंड के आमीशंकरपुर गांव निवासी डीएलएड प्रशिक्षु एवं किसान के बेटे राहुल यादव पर फिट बैठती है। कोरोना काल में स्कूल बंद हो जाने के बाद से गांव के बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया था। अभाव के चलते बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से भी नहीं जुड़े थे। ऐसे में बच्चों का भविष्य संवारने को राहुल ने स्वयं गांव के बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाने का बीड़ा उठाया।

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घर में स्कूल जैसा माहौल

आज राहुल यादव की कक्षा में तीन दर्जन बच्चे हो गए हैं। पहली सितंबर से गांव के बच्चों को बुलाकर राहुल निश्शुल्क शिक्षा दे रहे हैं। इसकी जानकारी जब गांव के अधिकांश अभिभावकों तक पहुंची तो उनके पाल्यों के पढ़ाई को लेकर चिंता के बादल छंटने लगे। परिवार के साथ गांव में खुशनुमा माहौल बन गया। राहुल ने गांव के कक्षा आठ तक के सभी छात्रों को विषय के साथ संस्कारित बिंदुओं पर पढ़ाना शुरू किया तो बच्चे भी स्कूल जैसा वातावरण पाकर चहक उठे। राहुल बच्चों को  मास्क अथवा गमछे से मुंह ढके होने के बाद शारीरिक दूरी के साथ कक्षा का संचालन कर रहे हैं।

जज्बे से प्रभावित हो रहे ग्रामीण

गांव के लोग राहुल के जज्बे को सलाम करते हैं। गांव के राजकुमार, कुसुम देवी, कमलेश यादव, मोहित, सागर, नीरज, नेहा, कल्पना एवं मनीषा के साथ तीन दर्जन छात्रों को भविष्य संवारने का एक सहारा मिल गया है। राहुल ने स्नातक की शिक्षा ग्रहण की है। वह वर्तमान में सांगीपुर स्थित कालेज से डीएलएड कर रहे हैं। इसके साथ ही वह खेती किसानी में भी अपने पिता का सहयोग भी कर रह रहे हैं।


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