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UP में स्कूलों के निरीक्षण में जनपदीय टास्क फोर्स फिसड्डी, महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने सुधार का दिया निर्देश

स्कूलों में गुणवत्तापरक निरीक्षण स्वास्थ्य पोषण से संबंधित कार्यक्रमों की निगरानी के लिए गठित टास्क फोर्स की जिला स्तरीय टीम में 12 और विकासखंड स्तरीय टीम में आठ सदस्य रखे गए। इन्हें कम से कम पांच स्कूलों के निरीक्षण की जिम्मेदारी दी गई। मगर ये उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 09:16 AM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 12:06 PM (IST)
स्कूलों के निरीक्षण में जनपदीय टास्क फोर्स फिसड्डी, सुधार करना है जरूरी

प्रयागराज, जेएनएन। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित स्कूलों में गुणवत्तापरक निरीक्षण, स्वास्थ्य व पोषण से संबंधित कार्यक्रमों की निगरानी के लिए टास्क फोर्स का गठन पिछले दिनाें किया गया। जिला स्तरीय टीम में 12 और विकासखंड स्तरीय टीम में आठ सदस्य रखे गए। इन्हें कम से कम पांच स्कूलों के निरीक्षण की जिम्मेदारी दी गई। बावजूद इसके ये उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। यह हाल प्रयागराज ही नहीं पूरे प्रदेश का है। दूसरी तरफ शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी को शतप्रतिशत निभाया। यह बात महा निदेशक स्कूल शिक्षा की तरफ से जारी रिपोर्ट में सामने आई है। उन्होंने स्थिति को चिंताजनक बताते हुए सुधार के लिए निर्देशित किया है। प्रस्तुत है अमलेन्दु त्रिपाठी की रिपोर्ट।

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जुलाई माह में प्रदेश में निरीक्षण की स्थिति

4125 स्कूलों के निरीक्षण का लक्ष्य जनपद स्तरीय टीम को दिया गया

840 स्कूलों का निरीक्षण हुआ

20 प्रतिशत स्कूलों का निरीक्षण जिला स्तरीय टास्क फोर्स ने किया

17036 स्कूलों के निरीक्षण का लक्ष्य प्रदेशभर में विकासखंड स्तरीय टास्क फोर्स को मिला

3335 स्कूलों का निरीक्षण किया गया,

20 प्रतिशत स्कूलों का दौरा हो सका

55 स्कूलों में निरीक्षण का लक्ष्य प्रयागराज में जिला स्तरीय टास्क फोर्स को मिला था

मात्र 6 स्कूलों का निरीक्षण, अर्थात 11 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त हुआ

335 स्कूलों में पहुंचने का लक्ष्य ब्लाक स्तरीय टीम को दिया था

46 स्कूलों का दौरा हुआ अर्थात 14 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हुआ

290 स्कूलों का लक्ष्य डायट मेंटर को मिला

175 स्कूलों में सपोर्टिव सुपरविजन किया गया

60 प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया गया

प्रदेश में बीएसए और खंड शिक्षाधिकारियों ने पूरा किया लक्ष्य

सभी बीएसए को अपने जिलों में कुल 1500 स्कूलों के निरीक्षण का लक्ष्य मिला था। प्रदेशभर में 1710 विद्यालयों का दौरान उन्होंने किया अर्थात निरीक्षण का स्तर 100 प्रतिशत रहा। इसी तरह खंड शिक्षाधिकारियों को 33711 स्कूलों का निरीक्षण करना था। 36694 का निरीक्षण हुआ अर्थात 100 प्रतिशत कार्य किया गया। मिड डे मील समन्वयकों ने भी लक्ष्य पूरा किया। उन्हें 1500 स्कूलों में जाना था। वे 1783 स्कूलों तक पहुंचे। डीसीएसएसए के लिए 9000 स्कूलों का लक्ष्य था लेकिन 7282 विद्यालयों का निरीक्षण हुआ, अर्थात 81 प्रतिशत कार्य हुआ।

एआरपी ने पूरा किया 95 प्रतिशत लक्ष्य

प्रदेश के सभी एआरपी के लिए 119820 स्कूलों का लक्ष्य दिया गया था। 113534 स्कूलों का निरीक्षण कर 95 प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया गया। एसआरजी के लिए 4440 स्कूलों का लक्ष्य तय था लेकिन 4195 स्कूलों में वह पहुंचे। उन्होंने 94 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया। डायट मेंटर्स के लिए 10870 विद्यालयों का निरीक्षण करना था। उन्होंने 7630 स्कूलों का दौरान कर सपोर्टिव सुपरविजन किया अर्थात 70 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हुआ।

खंड शिक्षाधिकारियों और प्रधानाध्यापकों की बैठक भी लक्ष्य से पीछे

प्रदेशभर में 880 स्कूलों में खंड शिक्षाधिकारियों और प्रधानाध्यापकों की बैठक का लक्ष्य दिया गया था। इनमें से मात्र 396 स्कूलों में बैठकें हुईं। मात्र 45 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हुआ। शिक्षक संकुल की बैठकें 8353 स्कूलों में होनी थीं। सिर्फ 2923 विद्यालयों में बैठक हो पाई अर्थात 35 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त हुआ।

स्कूलों में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सतत निरीक्षण किया। इसका परिणाम रहा कि विद्यार्थियों और शिक्षकों की उपस्थिति का प्रतिशत बढ़ा है। पहले विद्यालयों में मात्र 40 से 50 प्रतिशत विद्यार्थी आ रहे थे। अब यह आंकड़ा 70 से 80 प्रतिशत पहंच गया है। इसी तरह शिक्षकों की उपस्थिति भी अब 95 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है। वह समय से विद्यालय भी पहुंच रहे हैं।

- प्रवीण कुमार तिवारी, बीएसए


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