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अपर निजी सचिव परीक्षा में मिली गड़बड़ी, यूपीपीएससी के अधिकारी व कर्मचारी सीबीआइ मुख्यालय तलब

सीबीआइ को पीसीएस 2015 की तरह अपर निजी सचिव की भर्ती में भी व्यापक खामियां मिली हैं। विदेश से बुलाए गए एक वरिष्ठ अधिकारी ही निशाने पर है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 04 Mar 2020 04:20 PM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 04:20 PM (IST)
अपर निजी सचिव परीक्षा में मिली गड़बड़ी, यूपीपीएससी के अधिकारी व कर्मचारी सीबीआइ मुख्यालय तलब
अपर निजी सचिव परीक्षा में मिली गड़बड़ी, यूपीपीएससी के अधिकारी व कर्मचारी सीबीआइ मुख्यालय तलब

प्रयागराज, जेएनएन। पांच दिन तक प्रयागराज में रहकर जांच करने वाली सीबीआइ की टीम दिल्ली लौट गई। जांच में सीबीआइ को पीसीएस 2015 की तरह अपर निजी सचिव की भर्ती में भी व्यापक खामियां मिली हैं। इन भर्ती परीक्षाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधिकारी वही हैं, जिन अधिकारियों ने पीसीएस 2015 में अनियमितता की थी। उन अफसरों ने ही अपर निजी सचिव 2010, 2013 व 2015 की भर्ती परीक्षाओं में धांधली कराई है। फिलहाल आयोग के पूर्व परीक्षा नियंत्रक व सीबीआइ की ओर से विदेश से बुलाए गए एक वरिष्ठ अधिकारी ही निशाने पर है।

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सीबीआइ ने अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले यूपीपीएससी के दर्जनभर अफसर व कर्मचारियों को दिल्ली स्थित मुख्यालय में तलब किया है। इसमें कुछ को होली के पहले व कुछ को 10 मार्च के बाद बुलाया गया है। पीसीएस 2015 के बाद सीबीआइ को अपर निजी सचिव की भर्ती में खामियां मिली है। सीबीआइ करीब एक साल से जांच कर रही है। अपर निजी सचिव 2010 में दर्जनभर नियुक्तियां फर्जी कंप्यूटर सर्टिफिकेट के जरिए की गई हैं। जिन्हें कंप्यूटर का ज्ञान नहीं था उनका भी चयन कर लिया गया।

वहीं, अपने लोगों का चयन कराने के लिए परीक्षा के दौरान चयन प्रक्रिया में बदलाव भी किया गया। इसकी शिकायत होने पर आयोग को छह अभ्यर्थियों का चयन निरस्त करना पड़ा। ऐसी ही अनियमितता अपर निजी सचिव 2013 व 2015 की परीक्षाओं में की गई है। चयनितों में बड़ी संख्या में यूपीपीएससी व सचिवालय में कार्यरत अधिकारियों के रिश्तेदार शामिल हैं। उन्हें उच्च मेरिट पर रखा गया है, ताकि यदि सीबीआइ उनका चयन निरस्त करें तो वह सेवा से बाहर न होने पाएं।

अपर निजी सचिव परीक्षा में हुई अनियमितता

  • हिंदी आशुलिपि में फेल अभ्यर्थियों को पास किया गया।
  • कंप्यूटर सर्टिफिकेट की अर्हता पूरी न करने वाले अभ्यर्थियों को छह साल से चयन प्रक्रिया में बनाए रखा।
  • आयोग के एक बड़े अधिकारी के नजदीकी अभ्यर्थियों का नंबर बढ़ाकर उन्हें टॉप मेरिट में शामिल कराया गया।
  • सामान्य हिंदी की परीक्षा में मॉडरेशन करके अंकों को खूब बढ़ाया और घटाया गया है।
  • हिंदी शॉर्टहैंड और हिंदी टाइप में अनेक अभ्यर्थियों की गलतियों को कम दिखाकर अधिक अंक दिलाए गए।
  • जिन परीक्षाओं में आयोग के अफसरों के नजदीकी शामिल हुए, उनमें हिंदी शॉर्टहैंड की परीक्षा को पिछली भर्ती के प्रश्नपत्रों और अभ्यास पुस्तिका से कराया गया, जबकि यह प्रश्नपत्र बाजार में पहले से उपलब्ध थे।

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