UP बार कौंसिल में अध्यक्ष की कुर्सी के लिए बढ़ी रार, हरिशंकर बोले- मैं असली अध्यक्ष हूं Prayagraj News
यूपी बार कौंसिल में अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने के लिए तकरार बढ़ गई है। कौंसिल के अध्यक्ष व कार्यवाहक अध्यक्ष के बीच लगातार जोर-आजमाइश चल रही है।
प्रयागराज, जेएनएन। यूपी बार कौंसिल में अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने के लिए तकरार बढ़ गई है। कौंसिल के अध्यक्ष व कार्यवाहक अध्यक्ष के बीच लगातार जोर-आजमाइश चल रही है। दोनों एक-दूसरे को गलत बताकर खुद को अध्यक्ष की कुर्सी का सही दावेदार बता रहे हैं। कौंसिल अन्य पदाधिकारी व कार्यकारिणी के सदस्य मूकदर्शक की स्थिति में हैं।
सोमवार को कौंसिल अध्यक्ष कक्ष में हरिशंकर सिंह ने पत्रकारों से कहा कि कौंसिल के सदस्यों ने मुझे अध्यक्ष चुना है। मैं असली अध्यक्ष हूं, सारे सदस्यों का समर्थन और नियम-कानून मेरे साथ है। मेरे रहते कार्यवाहक अध्यक्ष की क्या जरूरत है? उन्होंने कहा कि अध्यक्ष का कार्यकाल एक साल के लिए होता है। दरवेश यादव व मुझे बराबर वोट मिले थे, जिससे कार्यकाल छह-छह माह का हो गया। दरवेश की दु:खद मृत्यु होने के बाद उनका कार्यकाल 11 माह 27 दिन का हो गया है।
अध्यक्ष के रूप में वह 13 जुलाई को होने वाली कार्यकारिणी की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। उन्होंने नवनिर्वाचित दिवंगत अध्यक्ष दरवेश के परिजनों को 50 लाख रुपये आर्थिक सहायता देने की मांग की। अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति लखनऊ से होने वाले 1.25 लाख के भुगतान को बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की मांग की। तीन साल तक प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं को पांच हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन देने, अधिवक्ताओं की हत्या रोकने की मांग उठाई।
वहीं, दूसरी ओर कौंसिल के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रशांत सिंह 'अटल' का कहना है कि कौंसिल की नियमावली सेक्शन 17 में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का कार्यकाल एक-एक साल का है। वोट बराबर मिलने पर कार्यकाल छह-छह माह का होता है। अध्यक्ष के न रहने पर उपाध्यक्ष को कार्यवाहक अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलती है। चुनाव होने के बाद 11 जून को बार कौंसिल ऑफ इंडिया में दरवेश को अध्यक्ष व मुझे उपाध्यक्ष के रूप में स्वीकृति मिली है। दरवेश की मृत्यु के बाद मैं कार्यवाहक अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहा हूं। हरिशंकर का कार्यकाल 12 दिसंबर से शुरू होगा। इसके पहले कौंसिल की कार्यकारिणी के पदाधिकारी व सदस्य उन्हें अध्यक्ष स्वीकार करते हैं तभी वह उस पद पर आसीन होंगे। अध्यक्ष या किसी दूसरे पद पर कोई जबरन नहीं बैठ सकता।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप