प्रभावशाली कहानियों का गुलदस्ता है 'परसी थाली', साहित्यकारों ने छेड़ी चर्चा
महिला काव्य मंच की प्रयागराज इकाई की ओर से साहित्यकारों ने कहानी संग्रह परसी थाली पर अपने-अपने विचार रखे। कहानी संग्रह जया मोहन श्रीवास्तव का है। इस पर विभिन्न साहित्यकारों ने अपनी-अपनी राय भी दी है। पेश है आपके समक्ष पुस्तक समीक्षा।
प्रयागराज, जेएनएन। महिला काव्य मंच की प्रयागराज इकाई के तत्वावधान में पुस्तक परिचर्चा हुई। उपन्यासकार एवं कहानीकार जया मोहन श्रीवास्तव की कहानी संग्रह 'परसी थाली' पर साहित्यकारों ने विचार रखे। वरिष्ठ साहित्यकार देवयानी ने कहा कि सामाजिकता जया की लेखनी का आधार है। हमारे समाज ने गुणों को ही स्थान दिया है। समस्या, दोष, विवशता, कठिनाइयों को अपने से दूर रखा है पर जया ने दोनों पर नजर डाला।
जया मोहन की सभी कहानियां मार्मिक हैं, उनमें पठनीयता है : मीरा
साहित्यकार मीरा सिन्हा कहती हैं कि सभी कहानियां मार्मिक हैं, उनमें पठनीयता है। प्रेमाराय कहती हैंं कि जया उन श्रेष्ठ रचनाकारों में से एक है जो अपनी रचनाओं द्वारा समाज को अतीत व वर्तमान का दर्पण दिखा कर भावी समाज को आदर्श स्थिति का संदेश देती है। सुमन दुग्गल कहती हैं कि परसी थाली प्रभावशाली कहानियों का गुलदस्ता है। शिल्प की दृष्टि से संवाद कथानक को गति देते है। उमा सहाय ने कहा कि जया उच्चकोटि की अतीव प्रतिभाशाली साहित्यकार हैं। कहानियों की भाषा प्रवाहमयी तथा कथानक के अनुकूल है। महक जौनपुरी कहती हैं कि भाषा और कहानी शिल्प की दृष्टि से बहुत सरल, सहज व संपूर्ण, सौष्ठव तथा माधुर्य से ओत प्रोत है।
कहानी में समस्या और उसका निवारण भी है : डॉ. पूर्णिमा
डॉ. पूर्णिमा मालवीय ने कहा कि जया की प्रत्येक कहानी में पृथक समस्या है। उसका निवारण भी है। गीता सिंह कहती हैं कि चुनौतियों और संभावनाओं के इन्ही पेचीदा रास्तों का वृतांत है जया मोहन की कहानी संग्रह परसी थाली। रेनू मिश्रा ने कहा कि जया मोहन की सभी कहानियां प्रभावशाली संदेश परक हैं। नीना मोहन ने कहा कि जया की कहानियां समाजिक तानों बानो में गूंथ कर पिरोई गई है।
कहानी में जिज्ञासा व तारतम्यता बनी रहती है : स्नेहा
स्नेहा उपाध्याय कहती हैं कि जया मोहन की हर कहानी ऐसी है कि व्यक्ति पढऩा शुरू करे तो उसमें डूब जाए। कविता उपाध्याय बोलीं कि जया की कहानी में जिज्ञासा व तारतम्यता बनी रहती है। डाॅ. सविता कुमारी श्रीवास्तव कहती हैं कि जयामोहन की कहानियों में औपन्यासिक शैली की झलक मिलती है। बोधगया बिहार के एक पाठक राजेंद्र वर्मा ने कहा कि आपकी कहानियां घर, परिवार, समाज व संबंधियों में समन्वय करती चलती हैं। कार्यक्रम का संयोजन रचना सक्सेना और ऋतंधरा मिश्रा ने किया।