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प्रयागराज पुलिस की कारस्तानी, व्यक्ति जेल में था और उसे फंसा दिया उम्रकैद की सजा वाले जुर्म में

केंद्रीय कारागार नैनी में निरुद्ध एक बंदी की शिवकुटी पुलिस ने ऐसी धाराओं में गिरफ्तारी दिखा दी जिसमें उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस ने गुडवर्क दिखाने के चक्कर में यह सब फर्जी ढंग से किया। कोर्ट ने नाराजगी जताई है

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 06:28 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 06:28 PM (IST)
प्रयागराज पुलिस की कारस्तानी, व्यक्ति जेल में था और उसे फंसा दिया उम्रकैद की सजा वाले जुर्म में
एक बंदी की शिवकुटी पुलिस ने ऐसी धाराओं में गिरफ्तारी दिखा दी, जिसमें उम्रकैद की सजा हो सकती है

प्रयागराज, अंकित शुक्ला। प्रयागराज पुलिस की एक और कारस्तानी के बारे में जान लीजिए।  केंद्रीय कारागार नैनी में निरुद्ध एक बंदी की शिवकुटी पुलिस ने ऐसी धाराओं में गिरफ्तारी दिखा दी, जिसमें उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस ने गुडवर्क दिखाने के चक्कर में यह सब फर्जी ढंग से किया। मामला अदालत में खुला तो कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए विवेचक समेत अन्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश एसएसपी को दिया है।

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जेल में बंद था तो कैसे कर ली चेन छिनैती

दरअसल, राजकुमार वर्मा ने 30 जून 2019 शिवकुटी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी पत्नी जया देवी 27 जून को मार्निग वाक करने जा रही थी, तभी रास्ते में बाइक सवार बदमाश गले से चेन लूटकर फरार हो गए। पुलिस ने मुकदमा कायम किया। फिर 13 सितंबर को पुलिस ने शिवकुटी में रहने वाले संतोष रावत  के घर जाकर जानकारी दी कि वह चेन छिनैती का अभियुक्त है जबकि सच्चाई यह है कि वह घटना के दिन यानी 30 जून से भी पहले से दूसरे मुकदमे में जेल में बंद था। अपर सत्र न्यायाधीश नुसरत खान की अदालत में आरोपित के द्वारा मामले में आरोप मुक्त किए जाने का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर दावा किया कि पुलिस ने उसे मनगढ़ंत और फर्जी तरीके से फंसा दिया है। प्रस्तुत उन्मोचन प्रार्थना पत्र के आधार पर कोर्ट ने नैनी जेल के अधीक्षक से रिपोर्ट तलब की।

घटना में फर्जी फंसाया, कोर्ट ने किया बरी

अधीक्षक ने रिपोर्ट में बताया कि अभियुक्त संतोष रावत 14 मई 2019 से एक जुलाई 2019 तक केंद्रीय कारागार में निरुद्ध था। मगर पुलिस की फर्द बरामदगी गिरफ्तारी के अलावा पुलिस पार्टी द्वारा लिए गए बयान का स्थान कर्नलगंज थाने का हवालात दिखाया गया है। मामले की गंभीरता देखते हुए कोर्ट ने दोबारा जेल अधीक्षक से रिपोर्ट तलब की। जेल अधीक्षक द्वारा 23 नवंबर 2021 को फिर रिपोर्ट दी कि आरोपित 14 मई से एक जुलाई तक केंद्रीय कारागार में ही रहा। इस दौरान किसी भी न्यायालय में पेश नहीं किया गया। वह कारागार परिसर के बाहर भी नहीं गया। इस पर कोर्ट ने माना कि अभियुक्त जब जेल के अंदर था, तब उसके द्वारा घटना किए जाने कोई प्रश्न ही नहीं उठता। इसके बाद आरोपित को उस आरोप से मुक्त कर दिया।

13 दिसंंबर तक दर्ज करेंं रिपोर्ट

कोर्ट ने एसएसपी को आदेश दिया है कि विवेचक व गिरफ्तारी में शामिल सभी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध 13 दिसंबर तक मुकदमा दर्ज कर अदालत को अवगत कराएं। साथ ही सभी के विरुद्ध विभागीय व अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाएं। गिरफ्तारी के बाद मनमाने रूप से आरोपित के नाम जोड़ने की प्रकृति की प्रभावी रूप से निगरानी करें। 


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