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विश्‍व प्रसिद्ध प्रयागराज के हनुमान : भक्‍तों की आस कि अब तो टारो संकट, हे संकट मोचन...

विश्व प्रसिद्ध बंधवा के लेटे हनुमान जी आस्‍था का केंद्र हैं। प्राचीन गाथा है कि हनुमान जी यहां भू-प्रकट हुए थे। उनकी विशाल प्रतिमा को इस स्थान से हटाने का कई बार प्रयास हुआ।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 05:24 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 05:27 PM (IST)
विश्‍व प्रसिद्ध प्रयागराज के हनुमान : भक्‍तों की आस कि अब तो टारो संकट, हे संकट मोचन...
विश्‍व प्रसिद्ध प्रयागराज के हनुमान : भक्‍तों की आस कि अब तो टारो संकट, हे संकट मोचन...

प्रयागराज, [अमरदीप भट्ट]। कोविड-19, के खौफ ने तीन माह से पूरी दुनिया को हिला रखा है। भारत में अब इसके केस तेजी से बढ़ रहे हैं। महामारी का वैश्विक संकट सभी पर है लेकिन त्रेता युग में जब प्रभु श्रीराम पर आए सबसे बड़े संकट को वीर हनुमान टाल सकते हैं तो उन पर जमा इंसानों का भरोसा अब भी अटूट है। शायद यही वजह भी है कि तीर्थ नगरी प्रयागराज में संगम के समीप लेटे हनुमान जी से श्रद्धालुओं की आस्था संकट के इस क्षण में पूरी मजबूती से जुड़ी है। हनुमान जी संकट मोचन हैं तो श्रद्धालुओं में भी कुछ ऐसी ही आस्था है कि पूरी दुनिया में आए जानलेवा संकट के आगे जब सरकारी उपाय बौने साबित हो रहे हैं तो हनुमान जी ही इस परेशानी से मुक्ति दिलाएंगे।

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...संकट मोचन से अपनी कामना करने का मौका हर किसी को मिल सके

आठ जून को जब से मंदिरों को खोला गया है तभी से लेटे हनुमान जी की पूजा-आराधना करने के लिए लोग पहुंच रहे हैं। मंदिर में हालांकि एक बार में पांच लोगों को ही प्रवेश देने की व्यवस्था की गई है लेकिन आरती के समय अधिक लोगों के पहुंच जाने पर मंदिर प्रशासन कुछ नरमी भी बरत रहा है ताकि संकट मोचन से अपनी कामना करने का मौका हर किसी को मिल सके।

प्राचीन गाथा है कि हनुमान जी यहां भू-प्रकट हुए थे
आइए हम आपको ले चलते हैं विश्व प्रसिद्ध बंधवा के लेटे हनुमान जी का दर्शन कराने। प्राचीन गाथा है कि हनुमान जी यहां भू-प्रकट हुए थे। उनकी विशाल प्रतिमा को इस स्थान से हटाने का कई बार प्रयास हुआ लेकिन उनका अंगद शरीर कोई हिला तक नहीं सका। तब से ही हनुमान जी की पूजा अर्चना होने लगी और अब भारत के कोने-कोने से ही नहीं बल्कि विदेश से भी आने वाले पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने जरूर पहुंचते हैं। लेटे हनुमान जी के मंदिर में जहां पहले पैर रखने की जगह भी नहीं मिलती थी वहां फिजिकल डिस्टेंसिंग के चलते अब आने वालों की संख्या कम है। फिर भी उनके प्रति विश्वास जन-जन में है कि परेशानियों से मुक्ति जल्द दिलाएंगे और उन्हीं की मर्जी होगी तो भक्तों का तांता फिर से पहले की तरह ही लगेगा।

ताकि लोग उसमें खड़े होकर एक दूसरे से फासला बनाए रख सकें

आजकल यहां कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए तमाम उपाय किए गए हैं। मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने के लिए कुछ फासले पर लगाई गई कैनोपी में सैनिटाइज होकर आना पड़ता है। कैनोपी से निकलते ही सेंसर के जरिए आपके शरीर पर स्प्रे खुद ही होगा। इसके बाद पैसेज से होते हुए हनुमान जी के समीप पहुंच सकते हैं। गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर गोले बनाए गए हैं ताकि लोग उसमें खड़े होकर एक दूसरे से फासला बनाए रख सकें। मंदिर में सुबह-शाम होने वाली महाआरती में फिलहाल शहरी ही पहुंच रहे हैं क्योंकि दूसरे जिलों, दूसरे प्रदेशों या भारत के बाहर से लोग अभी यहां नहीं आ रहे हैं। आरती के समय जब ढोल, शंख और घंटे बजते हैं तो पूरा माहौल जैसे भक्ति से सराबोर हो उठता है।

स्वामी आनंद गिरि कहते हैं

लेटे हनुमान मंदिर बंधवा के पुजारी स्वामी आनंद गिरि कहते हैं कि यह हनुमान मंदिर विश्‍व प्रसिद्ध है। कोरोना वायरस के संकट काल में मंदिर खुला तो सरकार की गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। यहां आने वाले भक्‍तों को सैनिटाइज करने के बाद ही मंदिर में श्री हनुमान का दर्शन लाभ मिल पाता है।
 


 


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