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डिप्टी सीएम केशव प्रसाद ने कुवैत में डंका बजाने वाली कौशांबी की एथलीट सुनीता को लखनऊ में किया सम्मानित

गुरुवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने लखनऊ आवास पर सिल्वर मेडलिस्ट सुनीता देवी पर सम्मानित किया है। सुनीता का प्रोत्साहन राशि भेंट कर उत्साहवर्धन किया और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। डिप्टी सीएम ने कहा कि सुनीता ने जनपद और प्रदेश का गौरव बढ़ाया है

By Jagran NewsEdited By: Ankur TripathiPublished: Thu, 20 Oct 2022 12:34 PM (IST)Updated: Thu, 20 Oct 2022 12:34 PM (IST)
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद ने कुवैत में डंका बजाने वाली कौशांबी की एथलीट सुनीता को लखनऊ में किया सम्मानित
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने लखनऊ आवास पर सिल्वर मेडलिस्ट सुनीता देवी पर सम्मानित किया

प्रयागराज, जेएनएन। कौशांबी जनपद की रहने वाली गरीब परिवार की बेटी सुनीता देवी ने कुवैत में आयोजित यूथ एशिया एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 3000 मीटर दौड़ में रजत पदक जीतकर देश और प्रदेश के साथ ही जनपद का भी नाम रोशन किया है। कुवैत से लौटने के बाद से सुनीता को लगातार सम्मान से नवाजा जा रहा है। पिछले दिनों कौशांबी जिला प्रशासन की ओर से सुनीता का सम्मानित किया गया था।

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सुनीता उभरते खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्रोत

 गुरुवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने लखनऊ आवास पर सिल्वर मेडलिस्ट सुनीता देवी पर सम्मानित किया है। सुनीता का तथागत गौतम बुद्ध, महारानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा एवं प्रोत्साहन राशि भेंट कर उत्साहवर्धन किया और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। डिप्टी सीएम ने कहा कि सुनीता ने जनपद और प्रदेश का गौरव बढ़ाया है साथ ही वह खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हैं। ऐसी खेल प्रतिभाओं को उभारना ही होगा।

किसान की बेटी ने बढ़ाया जिले का मान 

कौशांबी में मंझनपुर के बरई बंधवा गांव निवासी किसान चुन्नीलाल के पांच बच्चों में सबसे छोटी बेटी सुनीता ने स्वर्ण पदक जीतकर प्रदेश के साथ जिले का नाम रोशन किया। कोच बीके वाजपेयी का कहना है कि वह शुरू से मेहनती रही हैं। अपनी मेहनत के दम पर उसने यह मुकाम हासिल किया है। उसने भोपाल में गोल्ड मेडल जीतकर कुवैत के लिए टिकट पक्का किया था।

ऊसर खेत में मेहनत कर ट्रैक पर किया धमाल

दैनिक जागरण से बातचीत में सुनीता ने अपनी जीत का श्रेय कोच, गुरुजनों सहित अपने माता को दिया। सुनीता कहती हैं कि माता गुरुदेइन के साथ सुबह उठकर गांव में ऊसर खेत में अभ्यास किया और आज अपने लक्ष्य को पूरा किया। शुरू से ही कुछ अलग करने का सपना था। पढ़ाई में अधिक खर्च और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण मैंने खेल में अपना करियर चुना। 2017 से अब तक के सफर में बहुत सारी मुश्किलें आईं, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। आज मेरा देश के लिए कुछ करने का सपना पूरा हो गया है। अब निगाहें ओलंपिक में मेडल जीतने पर है।


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