इलाहाबाद हाई कोर्ट की प्रधान पीठ प्रयागराज में संपत्ति क्षति दावा अधिकरण की मुख्य पीठ बनाने की मांग
इलाहाबाद हाई कोर्ट की प्रधान पीठ प्रयागराज में संपत्ति क्षति दावा अधिकरण गठित न करने के निर्णय पर वकीलों में नाराजगी है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की प्रधान पीठ प्रयागराज में संपत्ति क्षति दावा अधिकरण गठित न करने के निर्णय पर वकीलों में नाराजगी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने यह अधिकरण लखनऊ और मेरठ में गठित करने का फैसला लिया है। कानून और कोर्ट के फैसलों की अनदेखी करके अधिकरण गठन का सरकार के फैसले का इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों ने विरोध शुरू कर दिया है। कोरोना संक्रमण के बीच वकीलों ने सोशल मीडिया में अभियान चलाकर हाई कोर्ट की प्रधान पीठ होने के नाते प्रयागराज में अधिकरण की मुख्य पीठ गठित करने की मांग की है।
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव प्रभाशंकर मिश्र ने वकीलों को अधिकरण की मुख्य पीठ प्रयागराज में गठित कराने का आश्वासन दिया है। बार एसोसिएशन के अन्य पदाधिकारियों ने भी सरकार से प्रयागराज में अधिकरण गठित करने की मांग की है। ऐसा न होने पर व्यापक विरोध करने की चेतावनी दी है। अधिवक्ता राजीव शुक्ल, सौरभ तिवारी, विनय तिवारी, संतोष कुमार मिश्र, अश्वनी कुमार ओझा, विजय श्याम भास्कर, अतुल कुमार पाण्डेय, आनंद दूबे, अजय पाठक आदि ने मुख्यमंत्री से नौकरशाही की इस गैर कानूनी हरकत पर हस्तक्षेप करने की मांग की है। कहा कि हाई कोर्ट की प्रधान पीठ प्रयागराज में अधिकरण की मुख्य पीठ गठित की जाय।
जूनियर लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमके तिवारी व सचिव जीपी सिंह ने कहा कि कानून के खिलाफ बार-बार कार्य करने वाली नौकरशाही के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। अधिवक्ता सोम नारायण मिश्र के कहा कि सरकार यदि दूरदर्शिता दिखाती तो अधिकरण प्रयागराज में स्थापित कर सकती थी। सर्वेश्वरी प्रसाद, सुनील चौधरी, सुशील कुमार तिवारी, विनोद गिरी, अरुण कुमार गुप्त, बृजेश श्रीवास्तव ने अधिकरण की मुख्य पीठ प्रयागराज में गठित करने की माग करते हुए सरकार से गलती सुधारने की अपील की है।
प्रयागराज में मुख्य पीठ न बनाना कोर्ट फैसले के खिलाफ : इलाहाबाद हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एएन त्रिपाठी ने कहा कि हाई कोर्ट अमल्गमेशन आर्डर 1948 में इलाहाबाद हाई कोर्ट को प्रधान पीठ व लखनऊ की चीफ कोर्ट को खंडपीठ घोषित कर लखनऊ खंडपीठ को दो मंडलों के जिलों के मुकदमे सुनने का अधिकार क्षेत्र दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने नसीरुद्दीन केस में क्षेत्राधिकार विभाजन की पुष्टि की है। मद्रास हाई कोर्ट बार एसोसिएशन केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अधिकरण की पीठ जहां हाई कोर्ट की प्रधान पीठ हो वही स्थापित की जानी चाहिए। लेकिन, कुछ राजनेताओं व नौकरशाही की मिलीभगत से संपत्ति क्षति दावा अधिकरण प्रयागराज की अनदेखी कर लखनऊ व मेरठ में गठित करना कोर्ट की अवहेलना है। कानूनी उपबंधों की अनदेखी कर लखनऊ में अधिकरण गठित कर नौकरशाही ने परोक्ष रूप से हाई कोर्ट के संवैधानिक अधिकार क्षेत्र में कटौती करने का प्रयास किया है। कहा कि इसी तरह शिक्षा सेवा अधिकरण मामले में नौकरशाही ने कोर्ट के फैसलों की अनदेखी कर मनमानी की थी। बाद में उसे सुधार करना पड़ा। जनहित याचिका अभी विचाराधीन है।