इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने की मांग Prayagraj News
कुलपति व उनसे लाभान्वित होने वाले उनके सहयोगियों द्वारा लगातार यह प्रचार किया जाता है कि कुछ गिने चुने सेवानिवृत्त शिक्षक इविवि में अध्यापकों की चयन प्रक्रिया को बाधित करते हैं।
प्रयागराज,जेएनएन : इलाहाबाद विश्वविद्यालय व संघटक कॉलेजों में आरक्षण के नियमों के खिलाफ हुई नियुक्तियों की जांच सीबीआइ से कराई जाए। आरक्षण के विरोधी कुलपति सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को दंडित किया जाए। यह बातें पूर्व अध्यक्ष अध्यापक संघ प्रो. रामकिशोर शास्त्री ने सिविल लाइंस स्थित एक रेस्टोरेंट में पत्रकारवार्ता के दौरान कहीं।
कुलपति खुद को देश के कानून से उपर मानते हैं
प्रो. शास्त्री ने कहा कि इविवि के कुलपति खुद को देश के कानून से उपर मानते हैं, इसलिए उनके अधिकतर निर्णय न तो तर्कसंगत होते हैं और न ही कानूनी रूप से वैध। कुलपति व उनसे लाभान्वित होने वाले उनके सहयोगियों द्वारा लगातार यह प्रचार किया जाता है कि कुछ गिने चुने सेवानिवृत्त शिक्षक इविवि में अध्यापकों की चयन प्रक्रिया को बाधित करते हैं। जबकि हकीकत यह है कि कुलपति व उनकी टीम द्वारा विवि की कार्यपरिषद से अनुमोदित आरक्षण रोस्टर का खुला उल्लंघन करने के कारण ही चयन प्रक्रिया में बार बार कानूनी रुकावटें आती हैं। इसके लिए कुलपति खुद जिम्मेदार हैं।
भ्रम फैलाने वालों की मंशा ठीक नहीं : पीआरओ
इविवि के पीआरओ डॉ. चितरंजन कुमार ने प्रो. रामकिशोर शास्त्री के आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने इविवि का पक्ष रखते हुए कहा कि कुछ लोग नए नए आरोप लगा रहे हैं। इविवि ने अपने हर विज्ञापन में केंद्र सरकार और कार्मिक मंत्रालय के आरक्षण नियमों का पालन किया है। हर विज्ञापन में पिछड़े, अतिपिछड़ों और अनुसूचित जाति का विधि सम्मत प्रतिनिधित्व है। नियुक्ति को लेकर भ्रम फैलाने वाले कुछ लोगों की मंशा ठीक नहीं है।