Deepawali 2020 : दीप पर्व पर मिट्टी के दीए से गुलजार होंगे प्रयागराज के घर, चल रहा कुम्हारों का चाक
करछना में कचरी गांव निवासी शीतला प्रसाद प्रजापति ने पूर्वजों की धरोहर मानकर आज भी वह मिट्टी के बर्तन व दिए को तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि भूमहीन होने के कारण उन्हेंं मिट्टी को खरीद कर बर्तन तैयार करना पड़ता हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। दीपावली पर्व निकट है, ऐसे में पर्व के मद्देनजर कुम्हारों के चाक भी तेजी से चल रहे हैं। वह मिट्टी के दीए बना रहे हैं। शहर के साथ ही ग्रामीण अंचल में भी कुम्हार अपने काम में जुटे हुए हैं। इस बार चायनीज झालरों की मांग कम होने की भी उम्मीद है। ऐसे में दीयों की मांग अधिक बढऩे की संभावना भी है।
प्राचीन परंपरा से चली आ रही दीपावली यानी दीपों के इस पर्व पर दीपों के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती। बदलते हुए आधुनिक के इस दौर में इलेक्ट्रॉनिक झालर लाइटिंग की चकाचौंध के आगे पुरानी परंपराएं लुप्त होती जा रही है। इस परंपरा को जीवित रखने के लिए आज भी गांव में कुम्हार समाज के लोग कड़ी मेहनत से इस परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी संजोए रखे हैं।
करछना में कचरी गांव निवासी शीतला प्रसाद प्रजापति ने पूर्वजों की धरोहर मानकर आज भी वह मिट्टी के बर्तन व दिए को तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि भूमहीन होने के कारण उन्हेंं मिट्टी को खरीद कर बर्तन तैयार करना पड़ता हैं। साथ ही कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बर्तन की बिक्री ना होने की दशा में उन्हेंं घाटा भी उठानी पड़ती है। इस वर्ष चायनीस उत्पादों पर प्रतिबंध होने से मिट्टी से तैयार किए गए बर्तनों की मांग बढ़ गई है। माह भर पहले से ही शहर के व्यापारियों ने दियाली खरीदने के लिए एडवांस में बयाना के रूप में पैसा दे चुके हैं। मांग पूरा करने के लिए इस वर्ष मेहनत अधिक करनी पड़ रही है।