इलाहाबाद विश्वविद्यालय की रैंकिंग को लेकर सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
इलाहाबाद विश्वविद्यालय को एक के बाद एक तीन झटका लगा है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।
By Edited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 01:58 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 02:00 PM (IST)
प्रयागराज : पिछले आठ दिनों में लगातार इलाहाबाद विश्वविद्यालय को तीन बार तगड़ा झटका लगा। इससे पुरा छात्र काफी आहत है। अब उनका गुस्सा सोशल मीडिया पर फूट रहा है। पुरा छात्रों ने कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने तक की नसीहत दे डाली।
इविवि टॉप-200 की सूची से बाहर
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) की ओर से जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) में इविवि टॉप-200 की सूची से बाहर हुआ। इसके पहले नैक टीम की रैंकिंग में भी इविवि को बी प्लस प्लस रैंकिंग मिली। साथ ही सिविल सेवा परीक्षा में भी इविवि की साख गिरी। इस पर सोशल मीडिया पर अब रार छिड़ गई है।
...और चेता भी रहे थे
इविवि के पुरा छात्र और शिक्षक भर्ती बोर्ड के चेयरमैन रहे प्रो. अरुण श्रीवास्तव ने फेसबुक पर लिखा है 'अंततोगत्वा वही हुआ, जिसके बारे में लगभग दो साल से हम जैसे मूर्ख डर भी रहे थे और चेता भी रहे थे। हमारी मातृ संस्था इलाहाबाद विश्वविद्यालय जो कभी पूरब के ऑक्सफोर्ड के रूप में विख्यात थी। आज मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी की गई राष्ट्रीय रैकिंग में देश के टॉप 200 विश्वविद्यालयों की सूची से भी बाहर है ।
कहा, मन में असहनीय पीड़ा है
2016 में रैकिंग में 68, 2017 में 95, 2018 में 146 और 2019 में 200 से भी नीचे। चारण और भाट चीख-चीख कर सबको यह बताते रहे कि विश्वविद्यालय ने विगत तीन वषरें में ऐतिहासिक महत्व के निर्णय लिए हैं और विवि का अभूतपूर्व विकास हुआ है। मन में कितनी असहनीय पीड़ा है उसे शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं है। इसलिये आज साफ कहना चाहता हूं कि डॉक्टर हांगलू आप इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति होने लायक नहीं हैं। हमारी मातृ संस्था पर अब तो रहम कीजिए और यदि आपमें कुछ भी नैतिकता शेष रह गई हो तो तत्काल त्यागपत्र दे कर चले जाइए। चारण और भाटों से दूर खड़े होकर जो सम्मानित अध्यापक मित्र तटस्थ बने हुए हैं। उनसे मात्र इतना ही कहना चाहता हूं कि समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र, जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी इतिहास।' उनके इस पोस्ट को धड़ाधड़ लाइक और शेयर किए जा रहे हैं। इनके अलावा पुरा छात्र और आइजी रहे बद्री प्रसाद सिंह ने भी इविवि की गिरती साख पर खेद जताया है।
इविवि टॉप-200 की सूची से बाहर
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) की ओर से जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) में इविवि टॉप-200 की सूची से बाहर हुआ। इसके पहले नैक टीम की रैंकिंग में भी इविवि को बी प्लस प्लस रैंकिंग मिली। साथ ही सिविल सेवा परीक्षा में भी इविवि की साख गिरी। इस पर सोशल मीडिया पर अब रार छिड़ गई है।
...और चेता भी रहे थे
इविवि के पुरा छात्र और शिक्षक भर्ती बोर्ड के चेयरमैन रहे प्रो. अरुण श्रीवास्तव ने फेसबुक पर लिखा है 'अंततोगत्वा वही हुआ, जिसके बारे में लगभग दो साल से हम जैसे मूर्ख डर भी रहे थे और चेता भी रहे थे। हमारी मातृ संस्था इलाहाबाद विश्वविद्यालय जो कभी पूरब के ऑक्सफोर्ड के रूप में विख्यात थी। आज मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी की गई राष्ट्रीय रैकिंग में देश के टॉप 200 विश्वविद्यालयों की सूची से भी बाहर है ।
कहा, मन में असहनीय पीड़ा है
2016 में रैकिंग में 68, 2017 में 95, 2018 में 146 और 2019 में 200 से भी नीचे। चारण और भाट चीख-चीख कर सबको यह बताते रहे कि विश्वविद्यालय ने विगत तीन वषरें में ऐतिहासिक महत्व के निर्णय लिए हैं और विवि का अभूतपूर्व विकास हुआ है। मन में कितनी असहनीय पीड़ा है उसे शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं है। इसलिये आज साफ कहना चाहता हूं कि डॉक्टर हांगलू आप इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति होने लायक नहीं हैं। हमारी मातृ संस्था पर अब तो रहम कीजिए और यदि आपमें कुछ भी नैतिकता शेष रह गई हो तो तत्काल त्यागपत्र दे कर चले जाइए। चारण और भाटों से दूर खड़े होकर जो सम्मानित अध्यापक मित्र तटस्थ बने हुए हैं। उनसे मात्र इतना ही कहना चाहता हूं कि समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र, जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी इतिहास।' उनके इस पोस्ट को धड़ाधड़ लाइक और शेयर किए जा रहे हैं। इनके अलावा पुरा छात्र और आइजी रहे बद्री प्रसाद सिंह ने भी इविवि की गिरती साख पर खेद जताया है।
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