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Cyber Crime: आनलाइन शापिंग की बुकिंग पर है शातिरों की नजर, नामी कंपनियों के एप का बना रहे क्‍लोन

Cyber Crime ये फर्जी वेबसाइट आपको हूबहू असली वेबसाइट जैसी ही लगेंगी। इसमें लोगों को प्रोडक्ट्स पर भारी आफर और डिस्काउंट के नाम पर जाल में फंसाया जाता है। साइबर अपराधी प्लेस्टोर पर ऐसी फर्जी एप को लांच करते हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 10:51 AM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 05:44 PM (IST)
साइबर थाना प्रभारी राजीव तिवारी कहते हैं कि साइबर अपराध से बचने के लिए लोगों को जागरुक होना होगा।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अब त्योहारी सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में लोग बढ़-चढ़कर आनलाइन शापिंग करते हैं। ऐसे में बहुत सावधान रहने की जरूरत है। साइबर अपराधी लोगों के बढ़ते आनलाइन शापिंग इंट्रेस्ट का जमकर फायदा उठा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में आनलाइन ठगी के मामले काफी बढ़ गए हैं। शातिर तरह-तरह का प्रलोभन देकर खाते से रुपये ऐठ रहे हैं। उनके निशाने पर बड़ी-बड़ी नामी ई-कामर्स कंपनियां भी हैं। ये शातिर इन एप या वेबसाइट का क्लोन बनाकर लोगों को चूना लगा रहे हैं।

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डिस्‍काउंट का आफर देकर जाल में फंसाते हैं शातिर

ये फर्जी वेबसाइट आपको हूबहू असली वेबसाइट जैसी ही लगेंगी। इसमें लोगों को प्रोडक्ट्स पर भारी आफर और डिस्काउंट दिया जाता है, ताकि कोई भी आसानी से जाल में फंस सके। साइबर अपराधी प्लेस्टोर पर ऐसी फर्जी एप को लांच करते हैं। इन एप को ब्रांडेड ई-कामर्स वेबसाइट या एप के फर्जी क्लोन के तौर पर बनाया जाता है। उसके बाद शातिर अपराधी अपनी फर्जी वेबसाइट पर सामानों पर 60 से 80 फीसद तक का डिस्काउंट आफर करते हैं। सस्ती चीजों को देखकर लोग आर्डर कर देते हो और झांसे में फंस जाते हैं। इतना ही नहीं पेमेंट कर देते हैं. लेकिन सामान की डिलेवरी नहीं आती।

उच्‍च न्‍यायालय के अपर शासकीय अधिवक्‍ता को लगाया चूना

सिविल लाइंस के ताशकंद मार्ग के रहने वाले आशीष मणि त्रिपाठी उच्च न्यायालय में अपर शासकीय अधिवक्ता हैं। उन्होंने सोफा की आनलाइन बुकिंग कराई। इसके बाद जालसाज ने इनको फोन कर सोफा को कम दाम में देने का आफर दिया। आशीष मणि झांसे में आ गए और फिर उनसे 12 हजार रुपये ऐंठ लिए गए।

आनलाइन बेड बु‍किंग में ठगे गए

जार्जटाउन क्षेत्र में रहने वाले पंकज ने आनलाइन बेड की बुकिंग कराई। दूसरे दिन उनके पास शातिर ने फोन किया और बताया कि जो बेड 92 हजार में है, वह उसे 45 हजार में दे देगा। इसलिए लिए खुद के एप पर बुङ्क्षकग कराने को कहा। शातिर ने एडवांस के रूप में 15 हजार रुपये भी लिया और फिर एप को डिलीट कर दिया।

ऐसे बरतें सावधानी

-किसी कंपनी की वेबासइट के बारे में इंटरनेट से पता लगाएं।

-कोई भी पेमेंट करने से पहले ई-कॉमर्स कंपनी के बारे में जांच लें।

-रजिस्टर्ड वेबसाइट के यूआरएल के सामने हमेशा लाक लगा होता है।

-वेबसाइट के होम पेज पर जाकर कांटेक्ट पर क्लिक करें।

-कांटेक्ट पर एड्रेस जैसी जानकारी न मिले तो ऐसी साइट्स से शापिंग करने से बचें।

साइबर थाना प्रभारी ने कहा- संदेह हो तो उस वेबसाइट पर न करें शापिंग

साइबर थाना प्रभारी राजीव तिवारी कहते हैं कि साइबर अपराध से बचने के लिए लोगों को जागरुक होना होगा। आनलाइन शापिंग करते समय हर बिंदु को बारीकी से परखने के बाद ही आगे बढ़े। वेबसाइट अगर फर्जी होने का संदेह हो तो कतई उस पर आनलाइन शापिंग न करें।


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