Move to Jagran APP

विधायक मुख्तार अंसारी की अर्जी खारिज, कोर्ट ने कहा-13 जनवरी को पेश हों Prayagraj News

मऊ में सदर विधानसभा सीट से विधायक मुख्तार अंसारी के अधिवक्‍ता ने एमपी एमएलए कोर्ट में कहा कि मुख्‍तार को पूर्व मंत्री मनोज सिन्हा और एसटीएफ के आइजी अमिताभ यश से खतरा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 18 Dec 2019 08:39 AM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 02:35 PM (IST)
विधायक मुख्तार अंसारी की अर्जी खारिज, कोर्ट ने कहा-13 जनवरी को पेश हों Prayagraj News
विधायक मुख्तार अंसारी की अर्जी खारिज, कोर्ट ने कहा-13 जनवरी को पेश हों Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। विधायक मुख्तार अंसारी की अर्जी एमपी एमएलए कोर्ट ने खारिज कर दी है। अर्जी दाखिल कर व्यक्तिगत हाजिरी को माफ करने और वीडियो कांफ्रेसिंग से कार्यवाही करने की याचना की गई थी। विशेष न्यायाधीश डॉ. बाल मुकुंद की कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि मामले में आरोप तय किया जाना है। इसकी पत्रावली 1990 से लंबित है। लिहाजा आरोप तय होने की तिथि पर अभियुक्त की उपस्थिति अनिवार्य है। पंजाब के रोपड़ जेल में बंद होने के कारण मुख्तार को प्रोडक्शन वारंट के जरिए समन किया जाए। आरोपित के विरुद्ध 13 जनवरी 2020 को आरोप तय होगा। कोर्ट ने इस दिन अभियुक्त को पेश होने का आदेश दिया गया है। मुख्तार अंसारी मऊ जिले की सदर विधानसभा सीट से विधायक हैं।

loksabha election banner

विधायक को पूर्व मंत्री मनोज सिन्हा व आइजी एसटीएफ से खतरा

अधिवक्ता ताराचंद गुप्ता ने तर्क रखा कि मुख्तार अंसारी 1996 से 2017 तक जनता द्वारा विधायक चुने गए। उन्हें राजनीतिक रंजिश के चलते झूठे मुकदमे में फंसाया गया है। वह 2005 से जेल में बंद हैं। 2001 में वह अपने घर युसुफपुर जा रहे थे, तभी रास्ते में माफिया बृजेश सिंह, त्रिभुवन सिंह ने गैंग के साथ एके-47 से हमला किया था। बृजेश ने बिहार के आरा जेल में बंद अपराधी को पांच करोड़ रुपये की सुपारी दी थी। बृजेश सिंह वर्तमान में एमएलसी हैं। अभियुक्त को पूर्व मंत्री मनोज सिन्हा और स्पेशल टॉस्क फोर्स के आइजी अमिताभ यश से जानमाल का खतरा है।

सरकारी वकीलों का तर्क-अभियुक्त के उपस्थित न होने से आरोप तय नहीं हो सकता

सरकारी वकील गुलाब चंद्र अग्रहरि, जीजे उपाध्याय, राजेश गुप्ता, श्यामधर द्विवेदी ने तर्क रखा कि अभियुक्त जनमानस में दुर्दांत अपराधी है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 228 में संशोधन का कोई अस्तित्व नहीं है। अभियुक्त के उपस्थित न होने के कारण आरोप तय नहीं हो सकता है। उसके खिलाफ इस कोर्ट में कई मुकदमे विचाराधीन हैं, जिनमें हाजिर न होने के कारण कार्यवाही नहीं हो पा रही है। अर्जी खारिज की जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.