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स्वतंत्रता के सारथी : शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगा रहे पार्षद अखिलेश Prayagraj News

वह हैं तो नगर निगम के पार्षद। समाजसेवा के साथ ही उन्‍हाेंने सुशिक्षित समाज बनाने के प्रति भी प्रयासरत हैं। गरीब परिवार के बच्‍चों शिक्षा से वंचित न रहें इसके लिए प्रयासरत हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 06:27 PM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 06:27 PM (IST)
स्वतंत्रता के सारथी : शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगा रहे पार्षद अखिलेश Prayagraj News
स्वतंत्रता के सारथी : शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगा रहे पार्षद अखिलेश Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले राजरूपपुर के सभासद नगर वार्ड के पार्षद अखिलेश सिंह शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। वह ऐसे बच्चों की पढ़ाई में पिछले छह-सात वर्षों से आर्थिक रूप से मदद करते आ रहे हैं, जिनके अभिभावक स्कूलों की फीस देने में असमर्थ होते हैं। इस वर्ष भी वह ऐसे तीन गरीब बच्चों की फीस अदा करने में मदद कर रहे हैं, जिनके परिजन उनके पास अपनी समस्या लेकर पहुंचे थे।

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गरीबों के बच्‍चों के लिए मसीहा बने अखिलेश

कांशीराम आवास योजना, कालिंदीपुरम का रहने वाला राम नारायण बाल विकास स्कूल में कक्षा चार में पढ़ता है। उसके पिता बलवंत वहीं एक राशन की दुकान में काम करते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह अपने बेटे की हर महीने छह सौ रुपये फीस देने में वह असमर्थ हैं, इसलिए इस बार उन्होंने अपने बेटे की फीस माफ कराने के लिए स्कूल से संपर्क किया। प्रधानाध्यापक ने कहा कि दो बच्चे होते तो एक की फीस माफ हो जाती। एक बच्चे की फीस माफ नहीं हो पाएगी। ऐसे में बच्चे की आगे की पढ़ाई होने पर संकट मंडराने लगा। पार्षद को जानकारी हुई तो उन्होंने अपनी तरफ से हर महीने चार सौ रुपये फीस देने के लिए कहा। दो सौ रुपये फीस पिता देते हैं। इस तरह राम नारायण की पढ़ाई की गाड़ी आगे बढ़ गई। 

भाई-बहन की पढ़ाई में भी कर रहे मदद

राजरूपपुर के रहने वाले एक भाई-बहन विभू और रोहिणी विश्वकर्मा की पढ़ाई में भी हर महीने आधी फीसद पार्षद दे रहे हैं। विभू सरस्वती शिशु मंदिर राजरूपपुर में कक्षा दो और रोहिणी कक्षा चार में पढ़ती हैं। इनके पिता राधेश्याम फेरी लगाते हैं। इनकी भी आर्थिक स्थिति अच्छी न होने से बच्चों की फीस देने में सक्षम नहीं हैं। पार्षद बताते हैं कि इन बच्चों की फीस माफ करने के लिए अभिभावक स्कूल के प्रधानाध्यापक से मिले थे, लेकिन मना कर दिया गया। इसकी जानकारी सभाजीत को हुई तो दो-दो सौ रुपये फीस उन्‍होंने देने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि दिग्गज सिंह हाईस्कूल में वर्ष 2012 से 15 तक एक गरीब बच्चे की पूरी फीस दी थी। वह इस समय आइटीआइ कर रहा है।  

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