लॉकडाउन के कारण हाई कोर्ट ने उठाया बड़ा कदम, आर्बिट्रेशन की अवधि 25 मई तक बढ़ी
CoronaVirus Lockdown in UP हाई कोर्ट ने कहा है कि 25 मार्च 2020 के बाद जिस कार्रवाई को पूरा करने की एक साल की अवधि समाप्त हो रही हो उसे 25 मई 2020 तक बढ़ा दिया जाए।
प्रयागराज, जेएनएन। CoronaVirus Lockdown in UP : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आर्बिट्रेशन एंड कंसिलिएशन एक्ट की धारा 29ए के तहत प्लीडिंग (दावा-प्रति-दावा) पूरी होने के बाद एक साल के भीतर प्रक्रिया पूर्ण करने की बाध्यता को शिथिल करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि 25 मार्च, 2020 के बाद जिस कार्रवाई को पूरा करने की एक साल की अवधि समाप्त हो रही हो, उसे 25 मई, 2020 तक बढ़ा दिया जाए। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने स्वत: प्रेरित कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
हाई कोर्ट ने पूर्व में ऐसे कैदियों जिन्हें जमानत पर रिहा करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते प्रतिभूति न दे पाने के कारण रिहा नहीं किए जा सके। उनसे व्यक्तिगत बंधपत्र लेकर रिहा करने का निर्देश दिया है। साथ ही ऐसे कैदियों से इस आशय का वचनपत्र भी लेने के निर्देश दिए हैं कि वे जेल से रिहाई के बाद एक माह के भीतर प्रतिभूति जमा कर देंगे।
हाई कोर्ट ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से अदालती कार्यवाही बंद है। 26 मार्च, 2020 के आदेश से कई निर्देश दिए गये हैं। उन्हीं निर्देशों के अनुक्रम में दो नए आदेश जारी किए गए हैं। अब आर्बिट्रेशन (पंचाट) कार्रवाई की अवधि यदि बीच में समाप्त हो रही है तो वह 25 मई तक जारी रहेगी। साथ ही प्रतिभूति जमा न करने के कारण रिहा न हो पाने वालों को भी कोर्ट ने राहत दी है।
संविधान के अनुच्छेद 226 एवं 227 के अधिकारों का प्रयोग करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि 15 मार्च 2020 के बाद जमानत पर रिहा हुए लोग यदि प्रतिभूति जमा न करने के कारण जेल से रिहा नहीं हो पाए हैं, तो उनसे व्यक्तिगत बंधपत्र और आश्वासन लेकर रिहा किया जाय। कोर्ट ने आदेश की प्रति संबंधित जिला अदालतों एवं अधिकरणों सहित प्रदेश के महाधिवक्ता, भारत सरकार के अपर जनरल एवं सहायक सॉलिसिटर जनरल, राज्य लोक अभियोजक एवं उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष को भेजने का आदेश दिया है।