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Coronavirus Effect : यूपी में विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों की परीक्षाओं पर बढ़ा असमंजस

Coronavirus Effect चार मई से स्थिति सामान्य होने पर अगर लॉकडाउन खत्म हो भी जाता है तब भी परीक्षा कराना आसान नहीं होगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2020 11:38 PM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2020 11:39 PM (IST)
Coronavirus Effect : यूपी में विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों की परीक्षाओं पर बढ़ा असमंजस
Coronavirus Effect : यूपी में विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों की परीक्षाओं पर बढ़ा असमंजस

प्रयागराज, जेएनएन। Coronavirus Effect : कोरोना वायरस का प्रकोप निरंतर बढ़ रहा है। प्रतिदिन पीड़ितों के नए मामले सामने आने से तीन मई को लॉकडाउन खत्म होने पर संशय की स्थिति है। ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश में स्नातक और परास्नातक की बची परीक्षाएं कराना मुश्किल होगा। वहीं, चार मई से स्थिति सामान्य होने पर अगर लॉकडाउन खत्म हो भी जाता है तब भी परीक्षा कराना आसान नहीं होगा, क्योंकि उसमें हजारों परीक्षार्थी शामिल होंगे। इससे शारीरिक दूरी का मानक पूरा करना संभव नहीं होगा। दोनों ही स्थिति उच्च शिक्षा विभाग व विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए चिंताजनक है।

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उत्तर प्रदेश में 17 राज्य और 25 निजी विश्वविद्यालय हैं। इनके अंतर्गत 169 राजकीय, 331 अशासकीय सहायता प्राप्त व एक हजार से अधिक निजी डिग्री कॉलेज संचालित हैं। यहां स्नातक व परास्नातक परीक्षाएं फरवरी में शुरू होकर 30 अप्रैल तक चलनी थीं, लेकिन मार्च में होली व कोरोना वायरस के कारण परीक्षाएं नहीं हुईं। इधर, तीन मई तक घोषित लॉकडाउन से सारी प्रक्रिया ठप है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी एक स्थान पर भीड़ एकत्र होने की पूरी तरह से छूट मिलने की संभावना कम है। अगर परीक्षा कराई जाती है तो उसमें परीक्षार्थियों की भारी भीड़ जुटना तय है, जिससे कोरोना वायरस का खतरा बढ़ जाएगा।

उठा सकते हैं यह कदम

परीक्षा न होने की स्थिति में परीक्षार्थियों को प्रोविजनल तौर पर पास किया जा सकता है। राज्य विश्वविद्यालय व उससे संबद्ध डिग्री कॉलेज 2010 से पहले यही प्रक्रिया अपनाते थे। सत्र विलंब होने पर परीक्षार्थियों को प्रोविजनल तौर पर पास करके अगली कक्षा में शामिल होने का मौका दिया जाता था। फिर अगस्त व सितंबर माह में होने वाली श्रेणी सुधार के साथ वार्षिक परीक्षा भी कराई जाती थी। पास होने पर मार्कशीट देकर उन्हें आगे बढ़ाया जाता है, जबकि फेल होने पर उसी कक्षा में दोबारा पढऩा पड़ता था। हालांकि विभागीय अफसर इससे अभी इनकार कर रहे हैं।


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