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Coronavirus Prayagraj News : मुस्कुराते रहो बस , खुद ही हार जाएगा ये संक्रमण

कोविड वार्ड में राउंड के लिए जाने वाले डॉक्टर मरीज को पहले यही बताते हैं कि.. वह घबराएं नहीं जल्दी ही आप कोरोना को मात देकर ठीक हो जाएंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 10:10 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 01:27 PM (IST)
Coronavirus Prayagraj News : मुस्कुराते रहो बस , खुद ही हार जाएगा ये संक्रमण
Coronavirus Prayagraj News : मुस्कुराते रहो बस , खुद ही हार जाएगा ये संक्रमण

प्रयागराज,जेएनएन।  कहते हैं कि यदि डॉक्टर मुस्कुरा कर बात कर ले तो मरीज की आधी बीमारी वैसे ही भाग जाती है। इन दिनों डॉक्टर और नर्स कोविड अस्पतालों में भर्ती कोरोना के मरीजों से कुछ इसी तरह का व्यवहार कर सिर्फ इलाज ही नहीं कर रहे हैं बल्कि उनका मनोबल भी बढ़ा रहे हैं। इन्हीं कोरोना योद्धाओं के दम पर कोरोना मरीज ठीक भी हो रहे हैं। कोविड वार्ड में राउंड के लिए जाने वाले डॉक्टर मरीज को पहले यही बताते हैं कि.. वह घबराएं नहीं, जल्दी ही आप कोरोना को मात देकर ठीक हो जाएंगे।

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केस एक

रेलवे कर्मी संजीव कुमार पांडेय ने चार जुलाई को कोरोना की जांच कराई। नौ जुलाई को रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। 10 जुलाई को उन्हेंं लेवल टू बेली कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया। संजीव कहते हैं कि अस्पताल में वह करीब एक सप्ताह तक भर्ती थे। लेकिन कभी कोई असुविधा नहीं हुई, क्योंकि वहां तैनात टीम मरीजों की देखभाल अपने घर की तरह करती थी। अस्पताल की सीएमएस से लेकर सफाई कर्मचारी तक मरीजों के साथ अच्छा बर्ताव करते थे।

केस दो

मुंडेरा के रहने वाले आकाश यादव दवा कंपनी में एकाउंटेंट हैं। आकाश कहते हैं कि चार जुलाई को कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उन्हेंं लेवल वन कोटवा बनी कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया। आठ दिन तक वह अस्पताल में ही थे। वहां की व्यवस्था व मेडिकल स्टॉफ से बहुत प्रभावित हुए। बताया कि दिन में तीन बार सफाई कर्मचारी वार्ड में आता था और बिना किसी दबाव के अपना काम करता चला जाता। पूरा स्टाफ बहुत ही प्रेम से मरीजों से पेश आता था।

केस तीन

पुलिसकर्मी रविंदर सिंह नौ जुलाई को कोरोना संक्रमित मिले। वह भी बेली अस्पताल में भर्ती हुए। बताया कि ऐसा महसूस नहीं हो रहा था कि वह अस्पताल में भर्ती हैं। वहां परिवार के कोई सदस्य न होने के बावजूद लगता था कि पूरा परिवार यहां मौजूद है। डॉक्टर, नर्स, वार्डब्वाय व सफाई कर्मचारी तक मरीजों से घुलमिल गए थे। आठ दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला।


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