Coronavirus : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जरूरतमंद वकीलों की आर्थिक सहायता देने का दिया निर्देश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रस्टी कमेटी को लोन लेने का अधिकार है। वह लोन लेकर वकीलों की आर्थिक सहायता करे।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस कारण घोषित देशव्यापी लॉकडाउन के चलते अदालतें बंद हैं। इसके मद्देनजर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आर्थिक तंगी में जूझ रहे जरूरतमंद वकीलों की सहायता देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अधिवक्ता कल्याण कोष एक्ट के तहत गठित ट्रस्टी कमेटी को इस संबंध में तत्काल योजना तैयार करने का आदेश दिया है। कहा कि यह कार्रवाई एक हफ्ते के भीतर पूरी कर ली जाए। कोर्ट ने कहा कि ट्रस्टी कमेटी को लोन लेने का अधिकार है। वह लोन लेकर वकीलों की आर्थिक सहायता करे। लोन की गारंटी राज्य सरकार वहन करे।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने वकीलों मुंशियों की आर्थिक सहायता को लेकर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई 26 मई को होगी। इससे पहले कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया, यूपी बार काउंसिल, ट्रस्ट कमेटी सहित बार एसोसिएशनों को वकीलों की सहायता की योजना बनाने का आदेश दिया था। ट्रस्टी कमेटी के सदस्य सचिव प्रमुख सचिव न्याय ने हलफनामा दाखिल करके कहा कि कमेटी के पास पर्याप्त फंड नहीं है। जितना फंड है उससे कहीं ज्यादा उसकी देनदारी है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन मिश्र ने कहा था कि वह एक करोड़ देने के लिए तैयार हैं। इसके बाद कोर्ट ने ट्रस्टी कमेटी के चेयरमैन प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह से पूछा था कि ट्रस्टी कमेटी के पास कितना धन है? उसके जवाब में कोर्ट को बताया गया कमेटी के पास दो तरह के फंड हैं। इस समय 25 से 30 साल की वकालत वाले सदस्यों को पांच हजार रुपये प्रतिवर्ष के हिसाब से डेढ़ लाख रुपए का भुगतान करने के बाद कुल 69 करोड़ रुपये बचे हैं, जबकि देनदारी कई गुना ज्यादा है। दूसरा फंड 40 साल में पंजीकृत अधिवक्ता की 70 साल की आयु से पहले मौत होने पर आश्रितों को पांच लाख रुपये की सहायता देने के लिए है। इसमें सरकार ने 200 करोड़ रुपये दिए हैं। कमेटी ने 10 करोड़ रुपये जमा किया है। सरकार सरकार उसे बढ़ाकर 400 करोड़ रुपये करने जा रही है।
ट्रस्टी कमेटी की तरफ से बताया गया कि 2018-19 में 1309 एप्लीकेशन आयी थी। इसमें 1298 लोगों को 63 करोड़ 28 लाख रुपये का भुगतान किया गया। जबकि 2019 -20 में 410 अर्जी आयी, जिसके लिए 20 करोड़ 14 लाख रुपये का भुगतान किया गया। कोर्ट ने कहा कि एक्ट में प्राकृतिक आपदा में भी सहायता करने के उपबंध है। कोरोना वायरस के चलते प्रदेश की अदालतें बंद चल रही हैं। कानून में जरूरत पड़ने पर ट्रस्टी कमेटी को उधार लेने का अधिकार दिया गया है। साथ ही जीवन बीमा निगम के तहत भी फंड उपलब्ध है। बार काउंसिल अपना शेयर कमेटी को दे चुकी है। ऐसे में कमेटी अपने दायित्वों का भार बार काउंसिल पर शिफ्ट नहीं कर सकती। ट्रस्टी कमेटी जरूरतमंदों की आर्थिक सहायता दे सकती है। जब उसे लोन लेने का अधिकार है तो वह यह नहीं कह सकती कि उसके पास धन की कमी है।