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कोरोना संक्रमित वकीलों को वैक्सीनेशन बिना भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में बहस की मिली छूट

आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लेकर वकीलों को परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गई है। कोरोना संक्रमित उन वकीलों को भी केस लगने पर हाई कोर्ट परिसर में प्रवेश की अनुमति दे दी गई है जिन्हेंं वैक्सीन नहीं लगी है। उन्हेंं तीन माह के भीतर की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 12:06 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 12:06 PM (IST)
उन वकीलों को भी केस लगने पर प्रवेश की अनुमति दी गई है जिन्हेंं वैक्सीन नहीं लगी है।

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज स्थित प्रधान पीठ व लखनऊ पीठ में खुली अदालत में बहस के लिए अपनाई गई व्यवस्था में ढील दी है। अब आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लेकर वकीलों को परिसर में प्रवेश की अनुमति दे दी गई है। कोरोना संक्रमित रहे उन वकीलों को भी केस लगने पर हाई कोर्ट परिसर में प्रवेश की अनुमति दे दी गई है जिन्हेंं वैक्सीन नहीं लगी है। शर्त यही रखी गई है कि उन्हेंं तीन माह के भीतर की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। अभी तक केवल उन्हीं वकीलों को कोर्ट में बहस के लिए परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गई थी, जिन्होंने वैक्सीन लगवाई हो और उनके पास प्रमाणपत्र हो। यह व्यवस्था कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए लागू की गई है। अब कोर्ट में खुली अदालत के साथ वर्चुअल सुनवाई भी की जा रही है।

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आयकर विभाग को जवाब के लिए हाई कोर्ट ने दिया वक्त

हाई कोर्ट बार एसोसिएशन से 40 लाख रुपये से अधिक आयकर वसूलने संबंधी नोटिस के विरुद्ध दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आयकर विभाग को जवाब दाखिल करने का अतिरिक्त 24 घंटे का समय दिया है। न्यायालय ने इससे पूर्व 25 जून को आदेश पारित कर आयकर विभाग से जवाब मांगा था। जवाब दाखिल न होने पर न्यायालय ने 24 घंटे का अतिरिक्त समय दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति सुधारानी ठाकुर की खंडपीठ ने बार एसोसिएशन की याचिका पर दिया है।

मालूम हो कि आयकर विभाग ने वर्ष 2017-18 के लिए पुर्न कर निर्धारण का नोटिस दिया था। साथ ही 40 लाख रुपये का आयकर वसूला भी जा चुका है। इसे दो अलग अलग याचिकाएं दाखिल कर चुनौती दी गई है। बार एसोसिएशन का सहयोग कर रहे वरिष्ठ कर एवं वित्त सलाहकार डा. पवन जायसवाल ने बताया कि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन आयकर के दायरे में नहीं है क्योंकि यह संस्था सदस्यों के आपसी लाभ के लिए काम करती है। कोरोना काल में बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं की मृत्यु हुई है जिनके आश्रितों को बार की ओर से पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। ऐसी परिस्थिति में आयकर विभाग द्वारा कर वसूली करना और नोटिस जारी करना गलत है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह, रामानुज तिवारी, अमिताभ अग्रवाल और अजीत कुमार आदि वकीलों ने पक्ष रखा। न्यायालय ने बार एसोसिएशन को रिजाइंडर शपथपत्र दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।


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