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...तो इसलिए अभी नालों से सीवर का पानी गंगा-यमुना में गिरता रहेगा Prayagraj News

तीन एसटीपी का निर्माण अभी तक शुरू नहीं हो सका है। इसीलिए नैनी झूंसी और फाफामऊ के नाले से सीधे नदी में गंदा पानी गिर रहा है। पीएम मोदी एसटीपी का शिलान्यास कर चुके है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 11:03 AM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 11:03 AM (IST)
...तो इसलिए अभी नालों से सीवर का पानी गंगा-यमुना में गिरता रहेगा Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। नैनी, झूंसी और फाफामऊ के नालों से सीवर का पानी फिलहाल गंगा-यमुना में गिरता रहेगा, क्योंकि इन क्षेत्रों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका है। यह हाल तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक वर्ष पहले इसका शिलान्यास भी कर चुके हैैं। शिलान्यास होने के बाद सात महीने तक गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को एसटीपी के लिए जमीन नहीं मिल पाई। दो महीने पहले जमीन का आवंटन हुआ, मगर अभी कार्य शुरू नहीं हो पाया है। डेढ़ महीने बाद माघ मेला शुरू होने वाला है। नैनी, झूंसी और फाफामऊ के नालों की अस्थायी टेपिंग भी अभी नहीं हुई है।

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कुंभ में प्रयागराज आए प्रधानमंत्री ने एसटीपी निर्माण का शिलान्यास किया था

प्रधानमंत्री 16 दिसंबर 2018 को कुंभ के कार्यों का लोकार्पण करने प्रयागराज आए थे। उसी दौरान उन्होंने नैनी में 42 एमएलडी (मीलियन लीटर प्रतिदिन), झूंसी में 16 और फाफामऊ में 14 एमएलडी एसटीपी निर्माण के लिए शिलान्यास भी किया था। इसके साथ सात सीवेज पंपिंग स्टेशन और 16.41 किलोमीटर सीवेज पाइप लाइन भी बिछाई जानी है। तीन नए एसटीपी बनने पर 40 नालों को इसमें जोड़ दिया जाएगा।

बोले गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई महाप्रबंधक

गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई प्रयागराज के महाप्रबंधक पीके अग्रवाल का कहना है कि जिला प्रशासन द्वारा जमीन का आवंटन विलंब से किया गया। इसलिए निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। फाफामऊ में विकास प्राधिकरण के पुराने एसटीपी को ध्वस्त कर दिया गया है। तीनों एसटीपी का डिजाइन तैयार हो गया है। एक महीने के भीतर निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। 2022 तक तीनों एसटीपी तैयार हो जाएंगे।

दिसंबर के आखिरी सप्ताह से होगी नालों की अस्थायी टेपिंग

मेले के दौरान नालों का गंदा पानी नदी में न जाए, इसके लिए शहर के सभी नालों की अस्थायी टेपिंग की जाती है। नैनी, फाफामऊ, झूंसी के नालों को भी बायो रेमेडियल पद्धति से साफ किया जाता है। गंदे पानी को शोधित करने के बाद नदी में छोड़ा जाता है। अभी सभी नाले सीधे नदी में गिर रहे हैं। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई नालों की टेपिंग का काम दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह से शुरू करेगी। माघ मेले के पहले सभी नाले टेप कर दिए जाएंगे।


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