राजनीति में फंसे 'कंप्यूटर बाबा' नामदेव त्यागी दिगंबर अनी अखाड़ा से निष्कासित
दिगंबर अनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा के नाम से प्रख्यात नामदेव त्यागी को अखाड़े के पंचों ने बाहर का रास्ता दिखाया है। मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा था।
प्रयागराज(जेएनएन)। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक मुद्दे उठाने वाले दिगंबर अनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा को अखाड़े के पंचों ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इसके चलते कुंभ में उनके शाही स्नान समेत अखाड़ों की अन्य धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने पर भी रोक लग गई है। नामदेव त्यागी आधुनिक तौर तरीकों का उपयोग करने के चलते 'कंप्यूटर बाबा' के नाम से चर्चित हैं।
मध्य प्रदेश में संतों की संस्था षट्दर्शन साधु मंडल के प्रमुख कंप्यूटर बाबा का इंदौर के अहिल्यानगर में आश्रम है। प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया था, जिसे बाद में उन्होंने ठुकरा दिया था। इस दौरान वे कुछ राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त थे, जिसे लेकर दिगंबर अनी अखाड़े से लेकर अखाड़ा परिषद तक संतुष्ट नहीं था। ऐसे में उज्जैन में दिगंबर अनी अखाड़े के पंचों की बैठक हुई, जिसमें कंप्यूटर बाबा की गतिविधियों को लेकर व्यापक चर्चा के बाद उनके निष्कासन का फैसला लिया गया।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि कंप्यूटर बाबा संतों की मर्यादा के विपरीत आचरण कर रहे थे। वह दलीय राजनीति में लिप्त थे, इसलिए अखाड़ा परिषद ने भी उनके निष्कासन की अनुशंसा की थी। दिगंबर अनी अखाड़े के पंचों ने संतों की मर्यादा के अनुरूप निर्णय लिया है। जूना अखाड़ा के मंत्री श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा कि कंप्यूटर बाबा संत के बजाय राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे थे, जिससे संतों की छवि खराब हुई।
उन्हें निष्कासित करके दिगंबर अनी अखाड़े ने सराहनीय निर्णय लिया है। वहीं निर्वाणी अनी अखाड़ा महामंडलेश्वर कपिलदेव नागा ने निर्णय का विरोध किया। बोले, हर उस संत के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, जिसका राजनीतिक दलों से संबंध है। सिर्फ कंप्यूटर बाबा को निशाना बनाना अनुचित है।