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Suicide by Frustration : प्रतापगढ़ में प्रतियोगी छात्र ने फांसी लगाई, एयरफोर्स की परीक्षाओं में असफल होने पर आत्‍मघाती कदम उठाया

आशीष के भाई ने बताया कि एयरफोर्स की परीक्षाओं में असफल होने से वह तनाव में था। इसे लेकर परिवार के सदस्य भी परेशान थे। उसे समझाया भी जाता हौसला भी देते थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 10:22 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 05:52 PM (IST)
Suicide by Frustration : प्रतापगढ़ में प्रतियोगी छात्र ने फांसी लगाई, एयरफोर्स की परीक्षाओं में असफल होने पर आत्‍मघाती कदम उठाया

प्रयागराज, जेएनएन। वह प्रतियोगी छात्र था। सफलता उसे नहीं मिल रही थी। इससे वह निराश हो गया था। इस कदर निराश था कि उसने आत्मघाती कदम उठा लिया। फांसी के फंदे पर झूल कर उसने अपनी जान दे दी। पीछे रह गया तो सिर्फ परिवार के लोगों का करुण क्रंदन।

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प्रयागराज में रहकर एयरफोर्स की तैयारी करता था आशीष

यह घटना पड़ोसी जनपद प्रतापगढ़ की है। प्रतापगढ़ जनपद के कुंडा कोतवाली क्षेत्र के कलहा टिकरिया बुजुर्ग गांव निवासी 19 वर्षीय आशीष पटेल पुत्र जगदीश बहादुर पटेल प्रयागराज में रहकर एयरफोर्स की तैयारी कर रहा था। बताते हैं कि उसे बीते दो वर्षों से असफलता ही हाथ लग रही थी। इससे वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगा। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में वह अपने घर चला आया लेकिन तनाव कम नहीं हुआ।

सफलता न मिलने से तनाव में था

सोमवार की रात करीब साढ़े आठ बजे  आशीष अपने घर से बगैर बताए निकल गया। काफी देर तक जब वह घर नहीं लौटा तो परिवार के लोग सशंकित हो गए और उसकी खोजबीन शुरू कर दी। रात भर तलाशने के बाद भी आशीष का पता नहीं चला। मंगलवार की भोर में फिर आशीष को ढूंढा जाने लगा। इसी बीच घर से करीब 100 मीटर दूर स्थित बाग में पेड़ पर आशीष का शव साड़ी के सहारे फांसी के फंदे पर लटकता दिखा।

स्‍वजन हौसला देते थे ताकि उसका तनाव दूर हो

आशीष के फांसी लगाने की खबर पर बाग में ग्रामीणों की भारी भीड़ लग गई। परिवार के लोगों का करुण क्रंदन सुन ग्रामीणों की आंखें भी नम हो गईं। इसी बीच सूचना पर सीओ कुंडा राधेश्याम, कोतवाल कुंडा डीपी सिंह सिपाहियों के साथ वहां पहुंचे। शव नीचे उतारकर पुलिस ने कब्जे में ले लिया। आशीष के बड़े भाई आलोक कुमार ने बताया कि एयरफोर्स की परीक्षाओं में असफल होने से वह तनाव में रहता था। इसे लेकर परिवार के सदस्य भी परेशान थे। उसे समझाया भी जाता, हौसला भी देते थे ताकि उसका तनाव दूर हो।


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