रेफरल सेंटर बन कर रह गए हैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र Prayagraj Neews
एक्स-रे व खून की जांच के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त संसाधन नहीं है। दवाओं के नाम पर दर्द बुखार जैसी सामान्य दवाएं ही उपलब्ध है।
प्रयागराज, जेएनएन। सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाल स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। यह महज रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं। जिले के अधिकारी जिला मुख्यालय छोड़कर गांव के स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं जा रहे हैं। यही कारण है कि मरीज भी इन स्वास्थ्य केंद्रों पर जाने से कतराते हैं।
स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि 14 सीएचसी पर एक्स-रे मशीन उपलब्ध है
जनपद में कुल 21 सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) हैं। यदि सभी बेहतर ढंग से संचालित हों तो गांव के मरीजों को जिला मुख्यालय जाने की जरूरत न पड़े। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि 14 सीएचसी पर एक्स-रे मशीन उपलब्ध है लेकिन वह मशीन इतनी पुरानी है कि कभी चलेगी तो कभी बंद रहेगी। सीएचसी धनूपुर, बहरिया, कोटवा, कौडि़हार, होलागढ़, मऊआइमा व प्रतापपुर में एक्स-रे मशीन नहीं है। जिन केंद्रों पर मशीन है भी वह इतनी पुरानी हो चुकी है कि चलने के लायक नहीं है। पैथालॉजी की बात करें तो वह भी खानापूर्ति तक सीमित है। यही कारण है एसआरएन, बेली, काल्विन, डफरिन समेत अन्य अस्पतालों में मरीजों की लंबी भीड़ होती है। दवाओं की बात करें तो स्वास्थ्य केंद्रों पर बुखार, दर्द जैसी कुछ दवाओं को छोड़कर कुछ भी नहीं है। मरीज बाहर मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने को विवश हैं।
रात में नहीं रहते डॉक्टर
शासन का स्पष्ट आदेश है कि डॉक्टर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर रात में भी मौजूद रहेंगे। हालांकि ऐसा नहीं हो रहा है। स्थिति यह है कि डॉक्टर दिन में तो आते नहीं हैं रात को रुकने की बात तो दूर की है।
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भी शोपीस
सरकार एएनएम सेंटरों को डेवलप कर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बना रही है। दावा किया गया है कि इन सेंटरों पर टेली मेडिसिन के साथ-साथ मरीजों के बेहतर इलाज व जांच की व्यवस्था होगी। जनपद में करीब 30 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाए गए हैं लेकिन यह महज शोपीस बनकर रह गए हैं।