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तीन दिन बाद उपसौर होगा यानी उत्तरी गोलार्ध में शीतलहर और बढ़ेगी

तीन दिन बाद उपसौर होगा। यानी सूरज के सबसे नजदीक पृथ्वी पहुंच जाएगा, जिससे उत्तरी गोलार्ध में शीतलहर बढ़ेगी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 31 Dec 2018 11:29 AM (IST)Updated: Mon, 31 Dec 2018 11:29 AM (IST)
तीन दिन बाद उपसौर होगा यानी उत्तरी गोलार्ध में शीतलहर और बढ़ेगी
तीन दिन बाद उपसौर होगा यानी उत्तरी गोलार्ध में शीतलहर और बढ़ेगी

प्रयागराज : मौसम विज्ञानियों का मानना है कि पछुआ विक्षोभ का यह पहला चरण है। तीन दिन बाद उपसौर होगा। मतलब सूरज के सबसे नजदीक पृथ्वी पहुंच जाएगा, जिससे उत्तरी गोलार्ध में शीतलहर बढ़ेगी। राजस्थान समेत पश्चिम से आ रही ठंड हवाएं मैदानी इलाके में ज्यादा प्रभावशाली साबित हो रही हैं। यही नहीं पूरब से आ रही नम हवाएं और प्रभावी बना रही हैं। मतलब, पश्चिम और पूरब दोनों ओर से आ रहीं ठंड हवाएं ही शीतलहर की वजह हैं। इसके कारण ही तापमान में भी गिरावट दर्ज किया जा रहा है।

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रोज लुढ़क रहा पारा

इन दिनों पारा रोज ही लुढ़क रहा है। इससे धूप का असर और कम हो गया है और बर्फीली हवाओं ने ठिठुरन बढ़ा दी है। दोपहर में सूर्य की तपिश कम हो गई है और शाम होते ही गलन बढ़ गई। दोपहर में भी शरीर से गर्म कपड़े नहीं उतर रहे हैं।

अधिकतम तापमान लुढ़का

रविवार को अधिकतम तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस लुढ़क गया। रविवार को अधिकतम तापमान 20.8 डिग्री रिकार्ड किया गया, जबकि शनिवार को यह 21.9 दर्ज किया गया था। इसी तरह रविवार को न्यूनतम पारा छह डिग्री रहा। शनिवार को भी न्यूनतम तापमान छह डिग्री रिकार्ड किया गया था। पारा गिरने के कारण शाम होते ही सर्दी का असर बढ़ गया। रात होते सड़कों पर सन्नाटा छा गया। लोग जल्दी ही घरों में दुबक गए। बताते हैं कि रात और दिन की सर्दी में तेजी से इजाफा हुआ है। रात में तो बस अड्डे और रेलवे स्टेशनों पर लोगों को कंपकंपी भी छूटने लगी थी।

पहाड़ों पर बफबारी से शीतलहर

मौसम विज्ञानी एसएस ओझा का कहना है कि दिन और रात के तापमान का अंतर कम होने लगा है जिसके कारण गलन बढ़ गई है। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी के कारण शीतलहर मैदानी क्षेत्र तक पहुंच रही है।

करछना तहसील में नहीं जले अलाव

करछना तहसील के कौंधियारा विकास खंड अंतर्गत ठंड के बावजूद अभी तक न तो अलाव जलाने की व्यवस्था की गई है न ही गरीबों को कंबल बांटा गया। इससे इस ठंड में लोग ठिठुरने को मजबूर हैं। कौंधियारा के देवरा, मिश्रा बांध, राम का पूरा, सेहरा, अकोड़ा आदि बाजारों एवं कस्बों में लोगों ने अलाव जलाने की मांग की है।


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