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कैसे रुके प्रदूषण जब अफसर ही नहीं गंभीर, 15 सप्ताह बाद भी सीएनजी आटो संचालन का मामला लंबित Prayagraj News

शहर में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए सीएनजी आटो चलाने की योजना है। इस संबंध में अगस्त में आरटीए की बैठक में कमिश्नर ने सप्ताह भर में मांगी थी रिपोर्ट अभी तक नहीं दी गई।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 09:06 AM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 02:05 PM (IST)
कैसे रुके प्रदूषण जब अफसर ही नहीं गंभीर, 15 सप्ताह बाद भी सीएनजी आटो संचालन का मामला लंबित Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर अफसर गंभीर नहीं है। परिवहन, पुलिस और प्रशासन के अफसरों की मनमानी का आलम यह है कि कमिश्नर ने अगस्त में सीएनजी के आटो संचालन से संबंधित रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि चार महीने बीतने को है और अब तक इन अफसरों ने न तो रिपोर्ट सौंपी और न ही सीएनजी के आटो चल रहे हैं। ऐसे में हर सड़क पर जहरीला धुआं उगलते आटो धड़ल्ले से चल रहे हैं।

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शहर भर में बिना परमिट के ही डीजल के हजारों आटो धड़ल्ले से चल रहे हैं

13 अगस्त को सड़क परिवहन प्राधिकरण की बैठक कमिश्नर ने की थी। उस बैठक में कमिश्नर को बताया गया कि शहर भर में बिना परमिट के ही डीजल के हजारों आटो धड़ल्ले से चल रहे हैं। इससे प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। वहीं यहां पर सीएनजी उपलब्ध होने के बाद सीएनजी से वाहन चलाने का परमिट नहीं दिया जा रहा है। इस पर कमिश्नर आशीष गोयल ने आरटीओ प्रशासन डीके सिंह को निर्देशित किया तो बिन परमिट चल रहे वाहनों को बंद कराएं। साथ ही सप्ताह में भर में आरटीओ एक रिपोर्ट दें कि सीएनजी के कितने वाहनों को शहरी क्षेत्र में परमिट दिया जाय कि प्रदूषण न बढ़े।

सप्ताह भर में रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था

इसी रिपोर्ट के साथ एसपी सिटी और एडीएम सिटी भी रिपोर्ट दें कि कितने वाहनों के संचालन से जाम या कानून व्यवस्था पटरी पर रहेगी। इन तीनों अधिकारियों को सप्ताह भर में रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था। तब से अब तक करीब 15 सप्ताह हो चुका है। वहीं इन अधिकारियों ने रिपोर्ट नहीं सौंपी और न ही बिना परमिट वाली गाडिय़ों पर कोई कार्यवाही हुई है। इसलिए शहरी प्रदूषण में कमी भी नहीं आ रही है। इस मामले को लेकर एडीएम सिटी और एसपी ट्रैफिक ने कहा कि आरटीओ प्रशासन को बैठक बुलानी थी। बैठक करने के बाद रिपोर्ट बननी थी लेकिन उन्होंने पहल नहीं की। वहीं आरटीओ प्रशासन से प्रयास के बाद भी संपर्क नहीं हो सका। दरअसल वह इसी महीने रिटायर होने वाले हैं। कहा जा रहा है कि इसलिए वह मामलों टाल रहे हैं।


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