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जिले की आबोहवा की जांच करेंगे सीएमपी के छात्र Prayagraj News

मंत्रालय ने सीएमपी को 85 लाख रुपये अनुदान दिया। अनुदान की राशि विज्ञान संकाय के वनस्पति जंतु रसायन और भौतिक विज्ञान विभाग में बांटी जाएगी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 03:29 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 07:23 AM (IST)
जिले की आबोहवा की जांच करेंगे सीएमपी के छात्र Prayagraj News
जिले की आबोहवा की जांच करेंगे सीएमपी के छात्र Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन। शहर की आबोहवा की जांच अब चौधरी महादेव प्रसाद डिग्री कॉलेज (सीएमपी) के स्नातक छात्र-छात्राएं करेंगे। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर विज्ञान के बारे में जानकारी और बेहतर खेती के टिप्स भी देंगे। इसके लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने सीएमपी को 85 लाख रुपये अनुदान दिया है। कॉलेज के 12 सौ छात्र-छात्राएं वायु प्रदूषण के अलावा जल, ध्वनि और मिट्टी की भी प्रदूषण की जांच करेंगे। इसके अलावा किसानों को तमाम नई खेती के बारे में भी प्रशिक्षित किया जाएगा। ताकि वह जलवायु के मुताबिक फसलों का उत्‍पादन कर बेहतर मुनाफा प्राप्‍त करें। इससे किसानों को काफी लाभ होगा।

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देश भर के आठ कॉलेज के साथ चौधरी महादेव प्रसाद डिग्री कॉलेज को भी प्रोजेक्‍ट के लिए चुना गया

सीएमपी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की संयोजिका डॉ. सरिता श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने जुलाई में तीन साल के इस प्रोजेक्ट के लिए देशभर से कुल 32 कॉलेजों ने आवेदन किया था। नवंबर में स्क्रीनिंग के बाद प्रदेशभर के आठ कॉलेजों में सीएमपी को भी इस प्रोजेक्ट के लिए चुना गया।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से 85 लाख का अनुदान

मंत्रालय ने सीएमपी को 85 लाख रुपये अनुदान दिया। अनुदान की राशि विज्ञान संकाय के वनस्पति, जंतु, रसायन और भौतिक विज्ञान विभाग में बांटी जाएगी। मिलने वाली अनुदान राशि से विज्ञान संकाय के स्नातक स्तर के लैब में अत्याधुनिक रसायन, उपकरण खरीदे जाएंगे। इसके साथ ही समय-समय पर सेमिनार, वर्कशाप और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना होगा। संयोजक डॉ. सरिता श्रीवास्तव ने बताया कि इस मद से विज्ञान के विस्तार के लिए बाहर से वैज्ञानिकों को भी बुलाया जाएगा। इस मद से कॉलेज के 12 सौ छात्र-छात्राएं वायु प्रदूषण के अलावा जल, ध्वनि और मिट्टी की भी प्रदूषण की जांच करेंगे। इसके अलावा किसानों को तमाम नई खेती के बारे में भी प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रोजेक्ट के सह संयोजक डॉ. राकेश कुमार हैं।


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