कुंभ में डुबकी लगाने के लिए मिलेगा स्वच्छ जल
गंगा और यमुना नदियों में बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) आदि की जांच के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पांच स्थानों पर जल मापन यंत्र लगाया है।
प्रयागराज: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुंभ मेले में श्रद्धालुओं को स्वच्छ जल में डुबकी लगवाने के वायदे का असर दिखाई देने लगा है। कानपुर में टेनरियों के बंद होने और यहां नालों के पानी का शोधन शुरू होने से गंगा में प्रदूषण की मात्रा पहले से कम हो गई है। यह हम नहीं, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े कह रहे हैं। ऐसे में पहले स्नान पर्व से स्वच्छ जल में डुबकी लगाने की उम्मीद की जाने लगी है।
गंगा और यमुना नदियों में बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) आदि की जांच के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पांच स्थानों पर जल मापन यंत्र लगाया है। इसमें रसूलाबाद घाट, शास्त्री ब्रिज के पास, मेन संगम, झूंसी में छतनाग घाट और सरस्वती घाट शामिल हैं। बोर्ड ने नवंबर महीने में पांचों स्थानों पर दो बार (13 और 26 तारीख) जल का सैंपल लेकर लैब में जांच कराया तो सरस्वती घाट को छोड़कर अन्य सभी जगहों पर बीओडी की मात्रा सामान्य से ज्यादा पायी गई।
वहीं, दिसंबर माह में तीन बार (4, 11 और 18 दिसंबर) जल की जांच कराई गई तो छतनाग और रसूलाबाद घाट को छोड़कर बाकी स्थानों पर बीओडी की मात्रा सामान्य अथवा सामान्य से कम मिली। बीओडी से जल में प्रदूषण की मात्रा मालूम होती है। बता दें कि गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई 45 में 37 नालों के पानी का शोधन कर रहा है। नवंबर और दिसंबर के आंकड़े : घाट, नवंबर (दो बार), दिसंबर (तीन बार)
रसूलाबाद -3.5 और 3.7, 3.1, 3.0 और 2.6 मिग्रा. प्रति लीटर
शास्त्री ब्रिज- 3.9 और 4.0, 3.0, 3.0 और 2.8 मिग्रा. प्रति लीटर
मेन संगम- 3.2 और 3.6, 2.8, 3.0 और 2.9 मिग्रा. प्रति लीटर
छतनाग - 3.0 और 3.5, 3.2, 3.1 और 3.1 मिग्रा. प्रति लीटर
सरस्वती - 2.3 और 2.0, 2.4, 2.6 और 2.4 मिग्रा. प्रति लीटर
सामान्य बीओडी- 3.0 मिग्रा. प्रति लीटर नालों के पानी के शोधन का असर है कि बीओडी की मात्रा घटी है। सभी नाले टेप हो जाने पर इसमें और कमी आ सकती है।
- प्रदीप कुमार विश्वकर्मा, नोडल अफसर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।