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माघ मेले की नगर व्यवस्था में उड़ रहीं स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां

स्वच्छ भारत अभियान के तहत गंगा तीरे माघ मेले में शौचालय बने पर मौनी अमावस्या के दिन तैयारियों की पोल खुल गई। यहां सारी व्यवस्था ध्वस्त दिखीं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Mon, 30 Jan 2017 08:15 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2017 09:08 PM (IST)
माघ मेले की नगर व्यवस्था में उड़ रहीं स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां

इलाहाबाद (जेएनएन)। स्वच्छ भारत अभियान के तहत चंद महीने पहले तक गांवों में जगह-जगह सीटी बजाई जा रही थी। खुले में शौच करने जा रहे लोगों को फूल बांटा जा रहा था। जागरूकता के लिए कमेटियां बनाई गई थीं। गंगा तीरे 117 गांवों में शौचालय बनाने के लिए तो खजाने का मुंह खोल दिया गया। यह सब कुछ स्वच्छ भारत अभियान के तहत हुआ था। माघ मेला में मौनी अमावस्या के दिन के हालात तैयारियों की पोल खोलने वाले थे। यहां सारी व्यवस्थाएं ध्वस्त दिखीं।

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मेले के शौचालय कैंपों में कैद

माघ मेला के लिए प्रशासन ने भारी भरकम खर्च जरूर किया लेकिन अधिकारी यह आकलन लगाने में विफल रहे कि आखिरकार स्वच्छता के लिए कितने शौचालयों की यहां जरूरत पड़ेगी? स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार मेला क्षेत्र में13 हजार शौचालय बनवाए हैं। कैंपों में यह शौचालय बनाए गए हैं, जिनका इस्तेमाल वही लोग करते हैं, जिन्होंने शिविर लगाए हैं। सामान्य स्नानार्थियों के लिए पूरे मेला क्षेत्र में केवल 14 सीट वाले सौ के करीब सार्वजनिक शौचालय बनवाए गए हैं। यानि एक बार में इनमें केवल अधिकतम 1400 लोग ही जा सकते हैं। परेड ग्राउंड में लगे सारे टेंट ऐसे हैं, जहां शौचालय नहीं हैं। यहां रहने वाले लोगों को सार्वजनिक शौचालयों का ही सहारा था। इस वजह से मौनी अमावस्या के दिन खुले में शौच के कारण चलना मुश्किल था। वैसे मेलाधिकारी कहते हैं कि यथासंभव तैयारियां की गई थीं। भीड़ के बावजूद स्व'छता बनाए रखने की दिशा में काफी हद तक सफलता मिली है।

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गाय-गंगा की अनदेखी पर संत चिंतित

गोहत्या में बढ़ोत्तरी, गंगा की दयनीय दशा से संत व्यथित हैं। इलाहाबाद के माघ मेले स्थित गंगा सेना के शिविर में सोमवार को आयोजित संत सम्मेलन में वक्ताओं ने केंद्र एवं राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई। साथ ही दोनों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की। अध्यक्षता कर रहे श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि जो गाय-गंगा का नहीं है, वह हमारा भी नहीं हो सकता। हमें गाय व गंगा भक्त चाहिए, ताकि सनातन धर्म के अनुरूप उनकी रक्षा व संरक्षण का प्रयास ईमानदारी से हो सके। जगद्गुरु विद्याभाष्कर ने कहा कि गाय-गंगा की रक्षा के लिए ठोस नीति बनाकर उस पर कड़ाई से अलग करने की जरूरत है।

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प्रदूषण पर चिंता

गीता प्रेस गोरखपुर के अध्यक्ष राधेश्याम खेमका ने कहा कि गाय व गंगा की रक्षा के लिए अभी तक जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ। ऐसी नीति से कुछ होने वाला नहीं है। राजेंद्र दास जी महाराज ने गाय वध नहीं रुकने व गंगाजल में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की। कार्यक्रम संयोजक योगगुरु स्वामी आनंद गिरि ने कहा कि प्रदेश व केंद्र की सत्ता में बैठे नेताओं ने गाय-गंगा की रक्षा के लिए अतिशीघ्र उचित प्रयास नहीं किया तो संत समाज उनका खुलकर विरोध करेगा। डॉ. श्याम दास महाराज ने भी सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की। इस मौके पर मौजूद श्रद्धालुओं को गाय एवं गंगा की रक्षा को लेकर प्रयत्नशील प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने का संकल्प दिलाया गया।


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