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कोरोना काल मेंं अभी स्कूल की बजाय घर में ही पढ़ाई करना चाहते हैैं ज्यादातर बच्चे

अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के बजाए ऑनलाइन पढ़ाई ही चाह रहे हैं। इस लेकर दैनिक जागरण ने कुछ कालेजों के प्रधानाचार्यों के साथ ही अभिभावकों से बातचीत की। अभिभावकों का कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी कोरोना को लेकर सतर्क रहने को कहा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 08:31 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 08:31 PM (IST)
बच्चों को अभी स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं हैं ज्यादातर अभिभावक

प्रयागराज, जेएनएन।  कोरोना संकट की वजह से कई महीने से बंद स्कूलों को सोमवार से कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए खोल दिया गया है। गुरुवार को स्कूल खुलने का चौथा दिन रहा। स्कूल तो खुल गए हैं, लेकिन बच्चों की संख्या काफी कम चल रही है। हालांकि शिक्षा विभाग ने पूरी तैयारी की। अभिभावकों से सहमतिपत्र लेकर बच्चों को स्कूल में बुलाने को कहा। स्कूलों में भी कोरोना से बचाव के इंतजाम किए गए। बच्चों के लिए मास्क, सैनिटाइजर, थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था कराई गई। इन सबके बावजूद अभिभावकों को कोरोना का भय अभी सता रहा है। अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के बजाए ऑनलाइन पढ़ाई ही चाह रहे हैं। इस लेकर दैनिक जागरण ने कुछ कालेजों के प्रधानाचार्यों के साथ ही अभिभावकों से बातचीत की। अभिभावकों का कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी कोरोना को लेकर सतर्क रहने को कहा है तो वह अपने बच्चों को कैसे स्कूल भेजें।  

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प्रधानाचार्य बता रहे कि अभिभावक बच्चों को भेजने से कतरा रहे हैं

इस बाबत स्मृति सिंह, प्रधानाचार्य, संस्कार ग्लोबल स्कूल का कहना है कि स्कूल में कक्षा नौ से 12 तक  के बच्चों को बुलाया जा रहा है। जो नजदीक के बच्चे हैं और साइकिल से आते रहे हैैं हैं वह तो आ रहे हैं, लेकिन दूर से गाड़ी से आने वाले बच्चे गाड़ी न चलने से नहीं आ पा रहे हैं। उनके लिए ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। अभी अधिकांश अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। इसी तरह संत अंथोनी इंटर कालेज के  प्रधानाचार्य, फादर आनंद कुमार जॉन कहते हैैं कि अभिभावकों में कोरोना को लेकर भय व्याप्त है। ऐसे में स्कूल में शिक्षा के लिए नलाइन कक्षाएं चलाई जा रही हैं। अब ऑनलाइन परीक्षा भी कराई जा रही है। पिछले चार दिनों से कक्षा नौ से 12 तक के बच्चों को लिए स्कूल खुलने लगा। कोविड का अस्पताल होने बुलाया जा रहा है। दशहरा के बाद स्कूल दो पाली में चलेगा।

अवधेश विद्यानिकेतन  इंटर कालेज, शीतलमऊ के प्रधानाचार्य सुरेश सिंह का कहना है कि कक्षा में पढ़ाई करने के लिए छात्र छात्राओं को अभी भी कालेज भेजने के पक्ष में अभिभावक नहीं हैं। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों के पास मोबाइल नहीं है, अगर है तो नेटवर्क नहीं है। संसाधन के अभाव से जूझ रहे हैं। इसके बावजूद ऑनलाइन पढ़ाई पर सहमति देखी जा रही है। पं. नागेश दत्त पब्लिक स्कूल  के प्रधानाचार्य एसएन तिवारी का कहना है कि छात्रों को कालेज की कक्षा में पढ़ाने में रुचि कम होने के कारण अपने पाल्यों को आन लाइन अध्ययन को प्राथमिकता अधिकांश अभिभावक दे रहे हैं। कोरोना महामारी के कारण पठन पाठन को लेकर अभी संशय  अभिभावकों में बना है। कक्षा में छात्रों का पढ़ाया जाय या  ऑन लाइन पढ़ाया जाय के विषय को लेकर अभिभावकों में आम सहमति नहीं बन पा रही है।

वैक्सीन आने के बाद खुले स्कूल

एक अभिभावक प्रदीप मिश्रा कहते हैैं कि सरकार का स्कूल खोलने का निर्णय ठीक है, लेकिन यह सावधानी रखी जाए कि विद्यार्थियों का जीवन सुरक्षित भी रहे।  उनकी पढ़ाई भी जारी रहे और उनकी पढ़ाई का नुकसान न हो। जब तक कोरोना का भय है आनलाइन पढ़ाई ही कराई जाए।  इसी तरह पवन कुमार कहते हैैं कि  विद्यालय अभी एक महीना नहीं खुलना चाहिए। कोरोना की रफ्तार अब कम हो रही है। एक महीने बाद संक्रमितों की संख्या और कम हो जाएगी। एक महीने बाद विद्यालय खुलने चाहिए।    गया प्रसाद तिवारी के अनुसार, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि अभी कोरोना का संक्रमण गया नहीं है। ऐसे में बच्चों को अभी स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं हैं। आनलाइन पढ़ाई ही सही है।


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