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सीबीआइ पहुंची श्री मठ बाघम्बरी गद्दी, लंबी पूछताछ

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु मामले में सीबीआई ने लंबी पूछताछ की।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 01:57 AM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 01:57 AM (IST)
सीबीआइ पहुंची श्री मठ बाघम्बरी गद्दी, लंबी पूछताछ
सीबीआइ पहुंची श्री मठ बाघम्बरी गद्दी, लंबी पूछताछ

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने जांच शुरू कर दी है। टीम शनिवार शाम अल्लापुर स्थित श्री मठ बाघम्बरी गद्दी पहुंची। यहां करीब तीन घंटे पूछताछ का क्रम चला। सीबीआइ के आइजी विप्लव चौधरी, एएसपी केएस नेगी और टीम ने संतों, महंत के शिष्यों और सेवादारों से सवाल जवाब किए। इससे पहले दोपहर में सीबीआइ ने केस विशेष जांच दल (एसआइटी) से टेकओवर किया। पुलिस अधिकारियों, एसआइटी सदस्यों से जानकारी लेने के बाद विवेचना शुरू की।

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सूत्रों के अनुसार सीबीआइ ने पुलिस की थ्योरी पर ही अपनी जांच शुरू की है। एसआइटी की रिपोर्ट को पढ़ने के बाद अधिकारियों ने जांच का खाका तैयार किया। विवेचना व कार्रवाई के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गईं। शाम करीब चार बजे सीओ अजीत सिंह चौहान के साथ सीबीआइ के आइजी मठ पहुंचे। इसके बाद पुलिस फोर्स के साथ अन्य टीमें भी मठ में दाखिल हुईं। भीतर जाते ही एक टीम ने पहले समाधि स्थल का निरीक्षण किया और वहां मौजूद संतों व शिष्यों से घटना के संबंध में जानकारी ली। महंत को फंदे से नीचे उतारने वाले सेवादार बबलू, सुमित और धनंजय से भी काफी देर तक अलग-अलग सवाल-जवाब किया जाता रहा। अलग-अलग कमरे, छत, पार्किंग स्थल से लेकर अन्य जगहों पर जाकर सीबीआइ टीम के सदस्यों ने भौगोलिक स्थिति समझी। इसी दौरान एक टीम के नैनी सेट्रल जेल जाकर आरोपित आनंद गिरि, आद्या तिवारी तथा संदीप तिवारी से पूछताछ करने की बात सामने आई, लेकिन जेल अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की। श्री मठ बाघम्बरी गद्दी से सीबीआइ टीम शाम करीब सात बजे निकली। माना जा रहा है कि टीम रात में भी मठ में पहुंच सकती है। मिलने वाले सुराग के अधार पर जांच को आगे बढ़ाएगी। सोमवार 20 सितंबर की शाम पांच बजे के आसपास श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के विश्राम गृह स्थित कमरे में महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध दशा में मृत मिले थे। सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने प्रथम दृष्टया इसे आत्महत्या का मामला बताया है। मुख्यमंत्री के आदेश पर पहले एसआइटी गठित की गई, लेकिन बाद में संतों तथा जनमानस की भावना को देखते हुए प्रकरण की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई।


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