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शहर पश्चिमी के बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में सीबीआइ ने जोड़े नए गवाह Prayagraj News

विधायक राजू पाल हत्‍याकांड मामले में सीबीआइ का शिकंजा कस रहा है। जांच और गवाह जुटाने में पुलिस की तरफ से बरती गई लापरवाही की भरपाई सीबीआइ कर रही है। कई और चश्मदीद खोजे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 09:49 AM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 09:49 AM (IST)
शहर पश्चिमी के बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में सीबीआइ ने जोड़े नए गवाह Prayagraj News
शहर पश्चिमी के बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में सीबीआइ ने जोड़े नए गवाह Prayagraj News

प्रयागराज, [अंकुर त्रिपाठी]। शहर पश्चिमी के बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआइ ने कुछ और साक्ष्य जुटाने के साथ ही नए गवाह भी जोड़े हैं। मजबूत नए सुबूतों और गवाहों के दम पर इस हत्याकांड के 10 आरोपितों को कोर्ट से सजा दिलाने का प्रयास करेगी।

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2005 में शूटरों ने राजू पाल समेत तीन की गोली मारकर हत्या की थी

25 जनवरी 2005 को सुलेमसराय में जीटी रोड पर शूटरों ने गाडिय़ां रोककर राजू पाल और उनके साथ मौजूद लोगों पर गोलियों की बौछार की थी। हमले में राजू पाल के साथ देवी पाल और संदीप यादव की मौत हो गई थी। राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने तत्कालीन फूलपुर सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ समेत नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2016 से मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने पिछले महीने अतीक और अशरफ समेत 10 लोगों के खिलाफ लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। अदालत ने सभी आरोपितों को 21 सितंबर को तलब किया है।

सीबीआइ ने ऐसे साक्ष्य भी जुटाए जिसे पुलिस ने नजरअंदाज किया था

जानकारों का दावा है कि पुलिस ने घटनास्थल से जुड़े तमाम साक्ष्य छोड़ दिए थे, इसे एजेंसी ने जुटाया है। पुलिस ने कारतूस और खोखे जमा करने तथा बैलेस्टिक जांच में लापरवाही बरती थी। इस तथ्य को भी सीबीआइ ने जांच के लिए आधार बनाया था। सीबीआइ की जांच टीम ने मौका-ए-वारदात पर घटना का नाट्य रूपांतरण किया। फोरेंसिक टीम के साथ भी मंथन किया। गाडिय़ों में गोलियों के सुराख और बरामद खोखों का मिलान कराया गया। आरोपितों की कॉल डिटेल का नए सिरे से विश्लेषण किया गया। घटना से पहले राजू पाल पर हो रहे हमलों की भी जानकारी जुटाई गई।

मिले सुबूत और गवाह

सीबीआइ ने इस मामले में पुलिस द्वारा बनाए गवाहों के अतिरिक्त भी कई नए गवाह तलाशे हैं। कुछ अतिरिक्त सुबूत भी जुटाए हैं। घटना के वक्त तमाम दुकानदार, खोमचे वाले, स्थानीय लोग भी मौजूद थे लेकिन पुलिस ने उनके बयान लेने या उन्हें गवाह बनाने का प्रयास ही नहीं किया। इस चर्चित हत्याकांड में अधिवक्ता उमेश पाल और बक्शी मोढ़ा की रुखसाना चश्मदीद गवाह हैं, जिन पर हमला हो चुका है। अतीक और अशरफ के खिलाफ गवाह उमेश पाल को अपहरण और बंधक बनाकर पीटने का मुकदमा भी चल रहा है। उमेश का कहना है कि नए साक्ष्यों और गवाहों के जरिए सीबीआइ हत्याकांड के आरोपितों को सजा दिला सकेगी।


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