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लद्दाख से खींच लाई पूरब के ऑक्सफोर्ड की चाहत Prayagraj News

डिस्किट ने बताया कि वह जम्मू-कश्मीर के बाहर आगे की पढ़ाई करना चाहती थी।उसने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बारे में सोशल मीडिया पर पढ़ा।उसने बीकॉम में दाखिले के लिए आवेदन किया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 06:27 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 06:27 PM (IST)
लद्दाख से खींच लाई पूरब के ऑक्सफोर्ड की चाहत Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन : पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बारे सोशल मीडिया व दोस्तों से ऐसी जानकारी मिली कि वादियों में रहने वाली एक छात्रा यहां दाखिला लेने पहुंच गई। प्रवेश प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. मनमोहन कृष्ण ने बताया कि उनकी जानकारी में बीकॉम में अब तक वहां से किसी ने भी दाखिला नहीं लिया। छात्रा अब 15 जुलाई को पढ़ाई करने के लिए आएगी। 

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लद्दाख के बासगो गांव की डिस्किट चोस्डन ने इसी वर्ष जवाहर नवोदय विद्यालय से 12वीं की पढ़ाई पूरी की। उसे 81 फीसद अंक हासिल हुए थे। डिस्किट के पिता स्यांग पुंचोक पूर्व सैनिक रहे हैं। मां रिजिन लामो गृहिणी हैं। डिस्किट ने बताया कि वह जम्मू-कश्मीर के बाहर आगे की पढ़ाई करना चाहती थी। इसी बीच उसने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बारे में सोशल मीडिया पर पढ़ा। इसके अलावा दोस्तों ने भी उसे इविवि के गौरव के बारे में बताया। ऐसे में उसने बीकॉम में दाखिले के लिए आवेदन किया। दिल्ली स्थित परीक्षा केंद्र पर उसने प्रवेश परीक्षा दी। एसटी कोटे के अंतर्गत आने वाली डिस्किट को प्रवेश परीक्षा में 178 अंक हासिल हुए। परिणाम जारी होने के बाद उसने दाखिले के लिए प्रवेश प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. मनमोहन कृष्ण से फोन पर संपर्क किया।  वह अपने माता-पिता के साथ दाखिला लेने पहुंची। प्रवेश लेने के बाद वह बस से वापस लद्दाख के लिए रवाना हो गई। अब वह 15 जुलाई से नियमित पढ़ाई शुरू करेगी। उसे शताब्दी गल्र्स हॉस्टल में भी दाखिला मिल गया है। डिस्किट बैंकिंग सेक्टर में कॅरियर बनाना चाहती है।

आइएएस की फैक्ट्री में पढ़ाई करेगी उरई की श्रद्धा:

उरई के राजीव तिवारी की बेटी श्रद्धा भी बुधवार को अपनी मां अंजू के साथ बीकॉम में प्रवेश लेने पहुंची। प्रवेश परीक्षा में 202 अंक हासिल करने वाली श्रद्धा के चेहरे पर स्कूल से कॉलेज पहुंचने का उत्साह दिखा। पूछने पर श्रद्धा ने जवाब दिया कि मेरा ख्वाब था कि इलाहाबाद विवि से पढ़ाई करूं। आज वह सपना पूरा होने के करीब है। श्रद्धा ने मन में आइएएस बनने का तानाबाना बुन रखा है। वह कहती हैं आइएएस की फैक्ट्री में अब आई हूं तो जरूर सफल होकर बाहर निकलूंगी। 

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