ऑनलाइन व्यवस्था में गड़बड़ी का खामियाजा भुगत रहे व्यापारी Prayagraj News
जीएसटी लागू होने के बाद आॅनलाइन व्यवस्था में गड़बड़ी का खामियाजा व्यापारी भुगत रहे हैं। गलत खरीद पर फार्म में निरस्त विकल्प न होने से वह परेशान हैं।
By Edited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 07:59 PM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 08:36 AM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने पर व्यापारियों को भरोसा दिलाया गया था कि उनकी समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता के तौर पर होगा। हालांकि जीएसटी काउंसिल अब तक पोर्टल और रिटर्न फार्मो के स्तर पर ही कोई खास सुधार नहीं कर सका है। इससे व्यापारियों की मुश्किलें पहले से ज्यादा बढ़ गई हैं।
ऑनलाइन व्यवस्था की खामियों का दंड कारोबारियों पर ही
ऑनलाइन व्यवस्था की खामियों का दंड भी कारोबारियों को ही भुगतना पड़ेगा। अधिकारी भी व्यापारियों से कहते हैं कि उनके ऑनलाइन खाते में कोई गलत चीज शो हो रही है तो भी जुर्माना उन्हें ही देना पड़ेगा। जीएसटी के प्रशिक्षण के समय व्यापारियों को बताया गया था कि मासिक रिटर्न दाखिल करते समय अगर माल की खरीद एवं बिक्री संबंधी कोई ब्योरा छूट जाता है तो वार्षिक रिटर्न दाखिल करते समय संशोधन कर उसे उसमें जोड़ा जा सकेगा।
खरीद और बिक्री संबंधी छूट गए ब्योरे को भरने का कोई प्रावधान नहीं
खरीद संबंधी कोई विवरण ऑनलाइन खाते में गलती से किसी ने भर दिया तो भी फार्म में उसे निरस्त करने का विकल्प देने की बात कही गई थी। हालांकि वर्ष 2017-18 के नौ महीने का वार्षिक रिटर्न भरने के लिए जो फार्म जीएसटीआर-9 उपलब्ध कराया गया है। उसमें मासिक रिटर्न भरते समय खरीद और बिक्री संबंधी छूट गए ब्योरे को भरने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इससे जिन कारोबारियों की खरीद एवं बिक्री का ब्योरा भरने से छूट गया है, उन्हें वार्षिक रिटर्न में लाभ नहीं मिलेगा। फार्म 2 ए में भी गलत खरीद को निरस्त करने का कोई विकल्प नहीं दिया गया है। इससे जिन व्यापारियों की ऑटो पॉपुलेटेड खरीद आ रही है, उन्हें टैक्स जमा करना पड़ेगा।
बोले व्यापारी नेता, व्यापारियों का क्या दोष है
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार समिति के संयोजक संतोष पनामा और अध्यक्ष सतीश केसरवानी का कहना है कि अगर कोई फर्जी खरीद ऑनलाइन खाते में डाल दे तो उसमें व्यापारी का क्या दोष है। व्यापारी न उस खरीद का भुगतान करता है और न ही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का फायदा लेता है, फिर भी अधिकारी कहते हैं कि ऐसी खरीद पर भी वह टैक्स जमा कराएंगे। माल खरीद पर ही व्यापारी को आइटीसी का लाभ मिलता है। समिति के संयोजक ने राज्यों को भी संशोधन का अधिकार देने की मांग जीएसटी काउंसिल से की है।
ऑनलाइन व्यवस्था की खामियों का दंड कारोबारियों पर ही
ऑनलाइन व्यवस्था की खामियों का दंड भी कारोबारियों को ही भुगतना पड़ेगा। अधिकारी भी व्यापारियों से कहते हैं कि उनके ऑनलाइन खाते में कोई गलत चीज शो हो रही है तो भी जुर्माना उन्हें ही देना पड़ेगा। जीएसटी के प्रशिक्षण के समय व्यापारियों को बताया गया था कि मासिक रिटर्न दाखिल करते समय अगर माल की खरीद एवं बिक्री संबंधी कोई ब्योरा छूट जाता है तो वार्षिक रिटर्न दाखिल करते समय संशोधन कर उसे उसमें जोड़ा जा सकेगा।
खरीद और बिक्री संबंधी छूट गए ब्योरे को भरने का कोई प्रावधान नहीं
खरीद संबंधी कोई विवरण ऑनलाइन खाते में गलती से किसी ने भर दिया तो भी फार्म में उसे निरस्त करने का विकल्प देने की बात कही गई थी। हालांकि वर्ष 2017-18 के नौ महीने का वार्षिक रिटर्न भरने के लिए जो फार्म जीएसटीआर-9 उपलब्ध कराया गया है। उसमें मासिक रिटर्न भरते समय खरीद और बिक्री संबंधी छूट गए ब्योरे को भरने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इससे जिन कारोबारियों की खरीद एवं बिक्री का ब्योरा भरने से छूट गया है, उन्हें वार्षिक रिटर्न में लाभ नहीं मिलेगा। फार्म 2 ए में भी गलत खरीद को निरस्त करने का कोई विकल्प नहीं दिया गया है। इससे जिन व्यापारियों की ऑटो पॉपुलेटेड खरीद आ रही है, उन्हें टैक्स जमा करना पड़ेगा।
बोले व्यापारी नेता, व्यापारियों का क्या दोष है
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार समिति के संयोजक संतोष पनामा और अध्यक्ष सतीश केसरवानी का कहना है कि अगर कोई फर्जी खरीद ऑनलाइन खाते में डाल दे तो उसमें व्यापारी का क्या दोष है। व्यापारी न उस खरीद का भुगतान करता है और न ही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का फायदा लेता है, फिर भी अधिकारी कहते हैं कि ऐसी खरीद पर भी वह टैक्स जमा कराएंगे। माल खरीद पर ही व्यापारी को आइटीसी का लाभ मिलता है। समिति के संयोजक ने राज्यों को भी संशोधन का अधिकार देने की मांग जीएसटी काउंसिल से की है।
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