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कोरोना महामारी में जड़ी-बूटियों पर बढ़ा भरोसा तो प्रयागराज के कारोबारी ने खोला श्रीराम की नगरी में आयुर्वेद उपचार केंद्र

आयुर्वेद के पंचकर्म पर लोगों का और भरोसा बढ़ा है। इस बीच एक अच्छी खबर यह भी है कि प्रयागराज के एक कारोबारी दया पाठक श्रीराम की नगरी अयोध्या में एक हर्बल चिकित्सा संस्थान तैयार कर रहे हैं जिसमें उपचार के लिए दक्षिण भारत के आय़ुर्वेदाचार्य आ चुके हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 03:03 PM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 05:14 PM (IST)
चिकित्सा संस्थान में उपचार के लिए दक्षिण भारत के आय़ुर्वेदाचार्य आ चुके हैं

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना ने एक बदलाव तो बहुत बड़ा लाया है और वो है पारंपरिक उपचार के तरीकों तथा आयुर्वेद पर बढ़ा भरोसा। भले कोरोना में इलाज के लिए डॉक्टरों के बताने पर एलोपैथिक दवाएं खानी पड़ रही हों मगर इससे बचाव के उपाय के तौर पर आज घर-घर में काढ़ा पिया जा रहा है, गिलोय और तुलसी समेत अन्य जड़ी-बूटियों का खूब इस्तेमाल हो रहा है। पिछले करीब सवा साल में आयुर्वेदिक उपचार, इनकी औषधियों और इनसे जुड़ी कंपनियों में भारी बूस्ट देखने को मिला है और विशेषज्ञ दावा करते हैं कि अब एलोपैथ से ज्यादा लोग भारत की प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर ही ज्यादा यकीन करने वाले हैं। इसके साथ ही हर्बल और नेचुरोपैथी को भी बढ़ावा मिल रहा है। आयुर्वेद के पंचकर्म पर अब लोगों का और भरोसा बढ़ा है। और इस बीच एक अच्छी खबर यह भी है कि प्रयागराज के एक कारोबारी दया पाठक श्रीराम की नगरी अयोध्या में एक हर्बल चिकित्सा संस्थान तैयार कर रहे हैं जिसमें उपचार के लिए दक्षिण भारत के आय़ुर्वेदाचार्य आ चुके हैं।

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अयोध्या के जंगल में जड़ी-बूटियां देख प्रसन्न हुए केरल के आयुर्वेदाचार्य

दया पाठक बताते हैं कि हुआ यह कि वह पिछले कुछ समय से अयोध्या में हैं जहां श्री राम मंदिर निर्माण हो रहा है। इसी बीच पिछले महीने उनका संपर्क दक्षिण भारत के कुछ आयुर्वेदाचार्य से हुआ जिन्हें उन्होंने अयोध्या  आमंत्रित किया। यहां जंगल में भ्रमण के दौरान इन आयुर्वेदाचार्य को कई ऐसी जड़ी-बूटियां देखने को  मिलीं जिन्हें जीवन रक्षक कह सकते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसी औषधियां दक्षिण में दुर्लभ हैं जबकि इधर प्रचुरता में उपलब्ध हैं। दया ने उनसे राम की नगरी में हर्बल और नेचुरोपैथी से उपचार का संस्थान खोलकर उनकी सेवाएं लेने का प्रस्ताव रखा तो ये आयुर्वेदाचार्य सहमत हो गए। औऱ फिर दया पाठक ने एक जमीन चिन्हित कर संस्थान का निर्माण शुरू करा दिया। कंपनी का रजिस्ट्रेशन भी आनन-फानन हो गया। इसका नाम रखा गया है नीरो, प्रकृति का उपहार। उनका कहना है कि यह पूरी तरह प्राकृतिक उपचार होगा इसलिए नाम भी वैसा रखा है। 

दया बताते हैं कि इन आयुर्वेदाचार्यों में पंचकर्म और उपकर्म विशेषज्ञ केरल में कोझीकोड के डॉ. संजित टीपी और शिजिन केटीके, पयन्नूर की डॉ. दीपिका, कोट्टयम के शिवप्रकाश एम, अल्लापुरा की आदिरा रमेशन और त्रिवेंद्रम की डॉ. दिव्या हैं। इन सभी ने केरल के विभिन्न संस्थानों में रिसर्च के साथ सेवा दी है। फिलहाल वे त्रिशूर के आर्युवेद संस्थान में कार्यरत है और अब उनके नीरो संस्थान में अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे। उनका कहना है कि पंचकर्म और उपकर्म की क्रियाओं में भी यहां की औषधियां बेहद कारगर साबित हो सकती हैं। अयोध्या के जंगल में दिखी शंखपुष्पी, पाश्नावेदा, स्वर्ण शीरी, गिलोय समेत अन्य जड़ी-बूटियों से उपचार किया जाएगा। इस संस्थान में सभी प्रकार के रोगों से छुटकारा दिलाने के लिए पौधों से तत्काल औषधि तैयार कर हर्बल उपचार किया जाएगा। कोई रसायन नहीं इस्तेमाल किया जाएगा। कुछ ही दिनों में यह संस्थान तैयार होने पर यहां यूपी ही नहीं बिहार समेत अन्य राज्यों के भी लोग आकर हर्बल थेरेपी से अपने शरीर को रोग मुक्त करा सकेंगे।


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