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प्रयागराज में यमुना नदी में नाव डूबने से छह की मौत, दो लापता

मनकामेश्‍वर घाट पर 14 लोगों से भरी नाव पलट गई। तीन की मौत हो गई, छह को बचा लिया गया जबकि पांच अभी भी लापता हैं। नाव में छेद से हादसा हुआ।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 09:13 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 03:20 PM (IST)
प्रयागराज में यमुना नदी में नाव डूबने से छह की मौत, दो लापता

 प्रयागराज(जासं)। पानी भर जाने से सोमवार शाम एक नाव यमुना में डूब गई। इसमें सवार तीन महिलाओं समेत छह लोगों की डूबने से मौत हो गई, जबकि दो लापता हैं। छह लोगों को गोताखोर, पुलिस व सेना की मदद से बचा लिया गया है। सभी लोग महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले से अस्थि विसर्जन करने के लिए आए थे। हादसे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुख जताया है।

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योगी ने स्थानीय प्रशासन को युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य करने और इसके लिए एनडीआरएफ (नेशनल डिसास्टर रिस्पांस फोर्स) और एसडीआरएफ (स्टेट डिसास्टर रिस्पांस फोर्स) की भी मदद लेने के निर्देश दिये हैं।महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के रहनार कोलंबी गांव निवासी कौशबाई दिगंबर राव वैश की एक साल पहले मौत हो गई थी। 15 दिसंबर को कौशबाई की बरसी है। उनके पति दिगंबर रामराव वैश बेटे बालाजी, रमेश समेत कुल 14 रिश्तेदारों के साथ अस्थि लेकर आए थे।

 सोमवार शाम सभी लोग एक पुरोहित के साथ गऊघाट से नाव पर सवार हुए। संगम में अस्थि विसर्जन कर पौने सात बजे लौटते समय नाव में छेद होने से पानी भरने लगा। नाव डगमगाते ही नाविक व पुरोहित कुछ लोगों के साथ तैरकर बाहर आ गए। सूचना पर जल पुलिस और सेना के जवान पहुंचे। कच्छवे अंगद नारायण, केशव ज्ञानोभा कच्छवे, ज्योति बालाजी वैश, सुनीता देवीदास कच्छवे, मनोहर वैश और मीनाक्षी को बाहर निकाल लिया गया। डूब जाने से तीन महिलाओं राधाबाई, भागाबाई और लक्ष्मीबाई की मौत हो गई, तीनों के शव गोताखोरों ने निकाल लिए।

रात करीब साढ़े बारह बजे दो और शवों को निकाल लिया गया। तीन अन्य की तलाश चलती रही। सुबह एक और लापता बालाजी दिगंबर वैश का शव मिला। वह अपने पिता कौशबाई दिगंबर राव की अस्थि लेकर आया था। नागपुर में सिविल इंजीनियर बालाजी नाव में सवार बचाई गई ज्‍योति का पति था। अब दिगंबर रामराव वैश रिटायर्ड शिक्षक व भाजपा का स्‍थानीय नेता रमेश की तलाश हो रही है। अंगद नारायण ने बताया कि दिगंबर रामराव का दामाद देवीदास व बाबू राव रामचंद्र सिसौदिया भी लापता हैं। शाम पांच बजे के बाद श्रद्धालुओं को उस घाट से ले जाने की अनुमति नाव चालक को नहीं थी, इसके बावजूद नाविक मनमर्जी से बाज नहीं आ रहे हैं।

काश! नाविक मान लेता बात तो न होता हादसा
काश! नाविक बात मान लेता तो शायद हादसा न होता। यह कहते हुए मनोहर वैश बिलख पड़े। बताया कि जब नाव में अचानक पानी भरने लगा तो नाविक को चेताया, लेकिन उसने कहा कि मेरे लिये रोज की बात है। आप लोग परेशान न हों। बातचीत करते-करते नाविक नाव को वापस ला रहा था, तभी पूरी नाव पानी में समाने लगी। घटना से जानकारी मिलते ही पीडि़त परिवार के घर में कोहराम मच गया। रिश्तेदार और करीबी बार-बार फोन करते रहे और हाल पूछते रहे। 


डीएम, डीआइजी कुंभ व एसएसपी मौके पर मौजूद

मनकामेश्वर घाट पर नाव डूबने की सूचना पाकर अधिकारियों के साथ लोगों की भीड़ जुट गई है। जिलाधिकारी सुहास एलवाई, डीआइजी कुंभ केपी सिंह, एसएसपी नितिन तिवारी समेत भारी संख्या में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी पहुंच कर निर्देशित कर रहे हैं। वहीं काफी संख्या में लोगों की भी भीड़ जुटी है।

 यमुना की मनकामेश्वर घाट पर 30 फीट है गहराई
मनकामेश्वर घाट परं यमुना नदी की गहराई करीब 30 फीट है। ऐसे में डूबे पांच लोगों को बाहर निकालने के प्रयास में गोताखोरों को दिक्कत हो रही है। हालांकि सेना के जवान पहुंचकर नए सिरे से खोज कर रहे हैं। 

नाव में छेद और क्षमता से अधिक यात्री
फौरी तौर पर यह कहा जा रहा है कि जिस नाव पर 16 लोग सवार थे, उसमें छेद था। मनकामेश्वर घाट पर शिवजी का दर्शन करने के लिए शाम के दौरान लोगों की आवाजाही रहती है। लोगों की मानें तो घाट के निकट नाव लड़खड़ाने लगी और उसमें बैठे लोग चीखने लगे। नाव में छेद होने से उसमें पानी भरने लगा और हादसा हो गया। वहीं क्षमता से अधिक यात्रियों को नाव में बैठाया गया था।

 


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