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एक का रक्तदान बचाए चार की जान, रक्‍तदान से बढ़ती है रोगप्रतिरोधक क्षमता Prayagraj News

मोतीलाल नेहरु मंडलीय चिकित्सालय कॉल्विन अस्पताल में ब्लड बैंक के परामर्शदाता सुशील तिवारी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान लोगों को डर था कि यदि वे रक्तदान करने चिकित्सालय या ब्लड बैंक गए तो वह संक्रमण की चपेट में आ सकते है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 08:24 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 08:24 AM (IST)
एक का रक्तदान बचाए चार की जान, रक्‍तदान से बढ़ती है रोगप्रतिरोधक क्षमता  Prayagraj News
रक्‍तदान से नई आर.बी.सी. तेज़ी से बनने लगती हैं और व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी और बढ़ जाती है।

प्रयागराज, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान रक्तदान करने वालों की कमी देखी जा रही है। लोगों के भीतर भ्रम की स्थिति हैं कि वे रक्तदान करें या नहीं, अस्पताल जाने पर संक्रमण न हो जाये या रक्तदान से रोग प्रतिरोधक क्षमता न घट जाये जैसे कई सवालों के चलते लोग रक्तदान से कतरा रहे हैं। ऐसी स्थिति में लोगों को रक्तदान हेतु जागरूक करने और उनके भ्रम दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग काफी प्रयास कर रहा है जिसमें कई निजी संगठनों का साथ भी मिल रहा है।

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हर सामान्‍य व्‍यक्ति कर सकता है रक्‍तदान

मोतीलाल नेहरु मंडलीय चिकित्सालय, कॉल्विन अस्पताल में ब्लड बैंक के परामर्शदाता सुशील तिवारी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान लोगों को डर था कि यदि वे रक्तदान करने चिकित्सालय या ब्लड बैंक गए तो वह संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं, ऐसा भ्रम भी था कि रक्त देने से कोरोना होने की संभावना है। इस कारण कोरोना की शुरुआत में रक्तदान बिलकुल ही बंद था पर अब काफी सुधार हुआ है। एन.बी.टी.सी. (नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूज़न काउंसिल) और एस.बी.टी.सी. (स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूज़न काउंसिल) ने रक्त को सुरक्षित रखने और संक्रमण को रोकने के लिए पहले ही दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं जिनका रक्त लेने व देने के दौरान पूरा पालन किया जा रहा हैं। ब्लड बैंक में चिकित्सक, नर्सिग स्टाफ व लैब टेक्नीशियन पूरे एहतियात के साथ अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं। फिजिकल डिसटेंसिंग का पालन किया जाता है, हर रक्तदान के बाद बेड को विसंक्रमित किया जाता है। रक्तदाता का कोरोना टेस्ट नहीं किया जाता है। मास्क का प्रयोग व हाथ सेनिटाइज करने के बाद ब्लड बैंक के बाहर ही रक्तदाता का तापमान और यात्रा इतिहास लिया जाता है। तापमान सामान्य होने पर अगर वह व्यक्ति रक्तदान के मानकों को पूरा करता है तो वह रक्तदान कर सकता है।

वजन 45 किलोग्राम से अधिक तो कर सकते हैं रक्‍तदान

उन्होंने बताया कि हमारे शरीर में आर.बी.सी. (लाल रुधिर कणिकाएँ) बनती रहती हैं पर रक्तदान करने से पुरानी आर.बी.सी. शरीर से निकल जाती है जिससे नई आर.बी.सी. तेज़ी से बनने लगती हैं और इस वजह से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी और बढ़ जाती है। एक व्यक्ति के रक्तदान से चार लोगो की जान बचाई जा सकती है।

कौन कर सकता है रक्तदान- कोई भी 18 से 65 वर्ष का स्वस्थ व्यक्ति जिसका हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम/डी.एल. हो और वज़न कम से कम 45 किलो हो।

ये व्‍यक्ति कर सकते हैं रक्‍तदान

ऐसे व्यक्ति जो एच.आई.वी., हेपेटाईटिस-बी, सी, टी.बी, कुष्ठ रोग, किसी भी तरह का कैंसर या ह्रदय रोग से पीड़ित न हों वे रक्तदान कर सकतें हैं।

डायबेटिक व्यक्ति का यदि शुगर स्तर सामान्य है तो वह रक्तदान कर सकता है, इसके लिए उसी दिन की शुगर जाँच रिपोर्ट साथ लानी होगी। जिन डायबेटिक मरीजों को इन्सुलिन का इंजेक्शन लगता हो वे रक्तदान नहीं कर सकते।

पिछले 12 माह में कोई सर्जरी न हुई हो, पिछले 6 माह में शरीर पर कोई टैटू न बनवाया हो।

पुरुष हर 3 माह पर और महिला हर 4 माह पर रक्तदान कर सकती है।

किसे ध्यान देना ज्यादा ज़रूरी- कोरोना संक्रमण के दायरे में आये किसी देश से वापस आने वाले व्यक्ति और कोरोना संक्रमित या संभावित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों को कम से कम 28 दिन तक रक्तदान नही करना चाहिए।

रक्तदान शिविर, किसी भवन के अंदर या बाहर करने की छूट दी गयी है। बशर्ते इसमें सभी सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित किया गया हो। स्वास्थ विभाग की समस्त टीम रक्तदाता के साथ अहतियात व सामंजस्य बनाए रखने का पूरा प्रयास कर रही है।

एक कांस्टेबल की मुहिम ने रक्तदान से 1500 से अधिक जिंदगियां बचायी

कोरोना काल में ‘पुलिस मित्र’ के माध्यम से स्वैक्षिक रक्तदान शिविर में करीब 110 लोग स्वैक्षिक रक्तदान कर चुके हैं। 'पुलिस मित्र' के जरिये रक्तदान से अब तक 1500 से अधिक लोगों की जिंदगी बचायी जा चुकी हैं। 25 फरवरी 2017 में आशीष मिश्रा जो कि प्रयागराज में महानिरीक्षक कार्यालय में कांस्टेबल पद कार्यरत हैं, ने इस मुहिम की शुरुवात की। आशीष कहते हैं की एक ही जीवन मिला है इसे सिर्फ अपने लिए जी कर व्यर्थ जाने से अच्छा है दूसरों के लिए जिया जाए और कुछ ऐसा किया जाए की हमारी आने वाली नस्लें इन पदचिन्हों पर चलकर व प्रेरणा लेकर समाज के हित के लिए सकारात्मक प्रयास करें। हमारी इस मुहिम में हमारे विभाग से लेकर स्वास्थ विभाग व अन्य कई निजी संस्थाओं के सदस्यों व युवाओं ने स्वैक्षिक रक्तदान करके हमेशा हौसला बढ़ाया है। इस सफर में आई.जी. प्रयागराज ‘कवीन्द्र प्रताप सिंह’ का भी एक अभिभावक की तरह मार्गदर्शन व सहयोग मिला है।


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