Blood Bank: प्रयागराज में बिकता है खून... 5000-8000 रुपये दीजिए और एक यूनिट ब्लड ले जाइए
Blood Bank प्रयागराज में ब्लड बैंकों के आसपास खून बेचने वाले लोगों का गिरोह सक्रिय है। जरूरतमंद लोगों को गिरोह के सदस्य अपने जाल में फंसाते हैं। इसके बाद मनमानी कीमत वसूलकर एक यूनिट ब्लड उपलब्ध कराते हैं। इन गिरोह सदस्यों के खिलाफ धरपकड़ नहीं की जा रही है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। हादसे में घायलों या आपरेशन में जरूरतमंद के लिए खून की हर एक बूंद कीमती है। ब्लड बैंक (Blood Bank) इसीलिए होते हैं कि जरूरतमंद को समय पर ब्लड यानी खून मिल जाए। हालांकि इन दिनों प्रयागराज जिले के अधिकांश बड़े ब्लड बैंक दलालों के गिरोह के कब्जे में हैं। इनका जाल ऐसा है जिसमें फंसकर ब्लड बैंक दिनों दिन दम तोड़ रहे हैं। एक यूनिट ब्लड की कीमत मुंहमांगी है। पांच से आठ हजार रुपये तक एक यूनिट ब्लड बेचने का धंधा खुलेआम हो रहा है। इस मामले में जिम्मेदार अफसर चुप्पी साधे हैं।
कुछ वाकयों को पढ़कर आप भी अंजादा लगा सकते हैं : प्रयागराज शहर के राजापुर स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती महिला गीता के पति ओम प्रकाश एक अगस्त को एक यूनिट ब्लड लेने स्टैनली रोड पर स्थित एएमए के ब्लड बैंक पहुंचे। उन्हें तीन घंटे बाद आने के लिए कहा गया जबकि ब्लड की तत्काल आवश्यकता थी। बाहर ही परेशान हाल में देख उन्हें दो युवकों ने घेर लिया। ब्लड दिलाने का आश्वासन दिया। छह हजार रुपये में सौदा तय हुआ और 15 मिनट में उन्हें एक यूनिट ब्लड मिल गया। कुछ यही हाल काल्विन अस्पताल के ब्लड बैंक का भी है। एक अगस्त को इस ब्लड बैंक के बाहर बैठे गिरोह से एक जरूरतमंद की कहासुनी हो गई। कारण सिर्फ यह था कि सौदा 5000 रुपये में मानने से जरूरतमंद तैयार नहीं हो रहा था।
शिकायत पर ध्यान नहीं दिया जाता : प्रयागराज में ब्लड बैंकों में गुपचुप तरीके से साठगांठ रखने वाले गिरोह की जानकारी उन्हें भी है, जो अक्सर रक्तदान शिविर लगाकर ब्लड बैंकों का खजाना भरते हैं। स्वयं भी समय-समय पर रक्तदान करते हैं ताकि किसी जरूरतमंद की जान बचाई जा सके। इन रक्तदानियों की उच्चाधिकारियों के शिकायतें रद्दी की टोकरी में फेंक दी जाती हैं।
परेशान लोगों को लूटा जा रहा लेकिन गिरोह की धरपकड़ नहीं हो रही : आइजी कार्यालय में तैनात और पुलिस मित्र से संबद्ध सिपाही आशीष मिश्रा कहते हैं कि ब्लड बैंकों की कारस्तानी खून के अवैध कारोबार को बढ़ावा दे रही है। पूर्व आइजी केपी सिंह भी अपने कार्यकाल के दौरान सीएमओ को पत्र लिख चुके हैं। इसके बाद भी गिरोह की धरपकड़ नहीं कराई जा रही है और खून के लिए बेचैन, परेशान लोगों को लूटा जा रहा है।