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Black marketing of Remdesivir Injection: प्रयागराज पुलिस ने बिछाया था मुखबिरों का जाल तब पकड़े जा सके तीन आरोपित

Black marketing of Remdesivir injection पुलिस के हत्थे चढ़े तीनों बदमाश जिसे रेमेडेसिविर बेचते थे उससे साफ कहते थे कि जितनी भी जरूरत होगी उपलब्ध कराई जाएगी। प्रति इंजेक्शन 50 हजार रुपये में पड़ेगा। मरीज की जान बचाने के लिए स्वजन मुंहमांगे दाम पर इंजेक्शन खरीदने को विवश रहते थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 24 Apr 2021 12:01 PM (IST)Updated: Sat, 24 Apr 2021 12:36 PM (IST)
Black marketing of Remdesivir Injection: प्रयागराज पुलिस ने बिछाया था मुखबिरों का जाल तब पकड़े जा सके तीन आरोपित
रेमेडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों को पुलिस ने पकड़ा। (प्रतीकात्‍मक फोटो)

प्रयागराज, जेएनएन। कोविड-19 को लेकर रेमेडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों के बारे में कोतवाली पुलिस को लगातार सूचना मिल रही थी। पुलिस ने स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के पास घेराबंदी की थी, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल रही थी। जिस पर पुलिस ने मुखबिरों का जाल बिछा दिया था। पुलिस की यह कोशिश सफल भी रही और मुखबिर की सटीक सूचना पर तीन तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में तीनों ने रेमेडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की बात भी कबूल कर ली। 

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जरूरत जितनी भी हो मिलेगा रेडेमेसिविर इंजेक्शन

कोतवाली पुलिस के हत्थे चढ़े तीनों बदमाश जिसे रेमेडेसिविर बेचते थे, उससे साफ कहते थे कि जितनी भी जरूरत होगी, उपलब्ध कराई जाएगी। प्रति इंजेक्शन 50 हजार रुपये में पड़ेगा। मरीज की जान बचाने के लिए स्वजन मुंहमांगे दाम पर इंजेक्शन खरीदने को विवश रहते थे। कम समय में रेमेडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों ने मोटी रकम कमा ली थी। 

वाट्सएप पर ही करते थे बात

गिरफ्तार बदमाशों ने बताया कि पुलिस को बचने के लिए वह खरीदार से सिर्फ वाट्सएप पर ही बात करते थे। इससे उनके पकड़े जाने का खतरा नहीं होता था। अगर कोई उनकी नंबर पर फोन करता तो वह वाट्सएप पर चैटिंग या कालिंग करने की बात कहते थे। सामने वाले पर जब भरोसा हो जाता था कि वाकई वह जरूरतमंद है तभी उससे सौदा तय करते थे। इसके अलावा एसआरएन अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोरों के पास मंडराते रहते थे, ताकि जिनको रेमेडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत हो, उसे यह पहचान सके और बाद में बातचीत कर उसे अपने जाल में फंसा लें। 

इस तरह से पुलिस के शिकंजे में आए कालाबाजारी करने वाले

कोतवाली पुलिस ने सूचना पाते ही एसआरएन अस्पताल के मुख्य द्वार के पास घेराबंदी कर दी। सभी पुलिसकर्मी सादे कपड़े में थे। इसके बाद जब इन बदमाशों के पास पहुंची तो बदमाशों को कुछ संदेह हो गया। एक पुलिसकर्मी को इन लोगों ने पहचान लिया और फिर भागने लगे, जिस पर सभी को धर दबोचा गया। इसमें विनोद कुमार निवासी बेगम सराय मुंडेरा धूमनगंज, राहुल शुक्ला निवासी आमगोदर शंकरगढ़ हालपता इंद्रपुरी कालोनी बैरहना और अनुराग यादव निवासी रामदेवरिया थाना कप्तानगंज जनपद आजमगढ़ हालपता पटेल नगर सोहबतियाबाग शामिल थे। जबकि अजय विश्वकर्मा निवासी 40 नंबर गुमटी पंडिला महादेव थाना थरवई फरार हो गया था।


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