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एमपी एमएलए कोर्ट ने भाजपा सांसद पर दो सौ रुपये का जुर्माना लगाया

सांसद व भाजपा नेता जगदंबिका पाल पर एमपी एमएलए कोर्ट ने दो सौ रुपये का फाइन लगाया। मामला आचार संहिता के उल्‍लंघन का था।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 26 Jan 2019 02:59 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jan 2019 02:59 PM (IST)
एमपी एमएलए कोर्ट ने भाजपा सांसद पर दो सौ रुपये का जुर्माना लगाया
एमपी एमएलए कोर्ट ने भाजपा सांसद पर दो सौ रुपये का जुर्माना लगाया

प्रयागराज : भाजपा सांसद जगदंबिका पाल पर एमपी एमएलए कोर्ट ने दो सौ रुपये का जुर्माना लगाकर दंडित किया। मामला आचार संहिता उल्लंघन का है। जुर्माना की धनराशि जमा न करने पर उन्हें जेल जाना पड़ सकता था। मुकदमे की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी ने जुर्माना लगाया। फैसला सुनते ही जगदंबिका पाल ने तुरंत पैसा कोर्ट में जमा करके रसीद प्राप्त की।

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क्या था मामला

सिद्धार्थनगर जिले के संसदीय क्षेत्र डुमरियागंज बांसी से जगदम्बिका पाल प्रत्याशी थे। इसी दौरान आचार संहिता उल्लंघन के आरोप में जगदंबिका व ङ्क्षरकू पाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इससे पहले सिद्धार्थनगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 22 दिसंबर 2017 को सौ रुपये जुर्माना व एक माह की कैद की सजा सुनाई थी, जिस पर सीजेएम के आदेश के खिलाफ अपील के जरिए चुनौती दाखिल की गई थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुकदमे में सुनवाई टली

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुकदमे में सुनवाई टल गई है। एमपी एमएलए कोर्ट में शुक्रवार को मुख्यमंत्री हाजिर नहीं हुए, जिस कारण सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी ने सुनवाई की अगली तारीख 16 फरवरी मुकर्रर की है। मामला सपा नेत्री तलत अजीज और योगी आदित्यनाथ के बीच का है। घटना 12 फरवरी 1999 की है। तलत अजीज अपने समर्थकों के साथ जेल भरो आंदोलन के कार्यक्रम में जा रही थीं। लोगों की समस्या सुनने के लिए वह धरमपुर चौराहे पर रुक गईं। आरोप है कि इसी दौरान योगी आदित्यनाथ ने अपने समर्थकों को ललकारा कि तलत अजीज को मार डालो। फायङ्क्षरग में गनर सत्य प्रकाश की मौत हो गई और कई घायल हुए थे।

अदालत के सामने अड़चन

एमपी एमएलए कोर्ट के सामने अड़चन आ गई है। दरअसल, एक मुकदमा फौजदारी निगरानी तलत अजीज बनाम योगी आदित्यनाथ की फाइल स्पेशल कोर्ट से महाराजगंज से मिली है। दूसरा मुकदमा चंद्रसेन बनाम सरकार उप्र की फाइल प्राप्त नहीं हुई। जबकि हाईकोर्ट का निर्देश है कि दोनों पत्रावली की सुनवाई एक साथ की जाए। ऐसे में कोर्ट के सामने अड़चन है।


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