प्रयागराज को दूसरा घर मानते थे बिरहा सम्राट हीरालाल
बिरहा सम्राट हीराराल प्रयागराज को अपना दूसरा घर मानते थे। वह जब भी मौका मिलता था प्रयागराज आने से नहीं चूकते थे।
By Edited By: Published: Mon, 13 May 2019 07:16 PM (IST)Updated: Mon, 13 May 2019 07:17 PM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। ऊर्जावान व्यक्तित्व, ओजस्वी गायन और व्यवहार आत्मीयता वाला। बिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल की यही सब खूबियां हर किसी को कायल बनाती रही हैं। वाराणसी में जन्म लेने के बावजूद प्रयागराज से उनका गहरा नाता था। वह प्रयागराज को अपना दूसरा घर मानते थे। जब भी मौका मिलता बिना किसी दिखावे के चले आते। यही आत्मीयता कलाकारों को साल रही है।
हीरालाल के निधन से लोककला से जुड़े कलाकार मर्माहत हैं। लोकगायक उदयचंद्र परदेशी कहते हैं कि हीरालाल का दुनिया से जाना उनकी व्यक्तिगत क्षति है। पुरानी यादों में खोते हुए वह बताते हैं कि हीरालाल शरीर से पहलवान थे, लेकिन उनका मन अत्यंत कोमल था। बिरहा गायन को वह घर-घर पहुंचाना चाहते थे। इसके लिए वह जीवनभर सक्रिय रहे। जहां बैठते बिरहा गायन की खासियत लोगों को बताने लगते थे। प्रयागराज के बिरहा गायक स्व. कैलाश यादव व हीरालाल के साथ मैंने कई कार्यक्रम किए। आकाशवाणी के 'रेडियो संसद' कार्यक्रम में अक्सर हमारी मुलाकात होती थी। प्रयागराज के अलावा बनारस, गोरखपुर, भोपाल में भी साथ-साथ कार्यक्रम किया है।
उदयचंद्र परदेशी कहते हैं कि हीरालाल कहते थे कि मैं तो प्रयागराज आने का बहाना ढूंढता हूं। यहां आकर बिरहा की प्रस्तुति देने में मुझे जो खुशी मिलती है वह कहीं और नहीं प्राप्त होती। गायिका उमा दीक्षित कहती हैं कि हीरालाल को बिरहा गायन को नई ऊंचाई प्रदान करने का श्रेय है। वह अपनी कला के प्रति समर्पित कलाकार थे। गायिका स्वाति निरखी कहती हैं कि हीरालाल की कमी कभी पूरी नहीं की जा सकती। वह नए कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए भी सक्रिय रहे।
हीरालाल के निधन से लोककला से जुड़े कलाकार मर्माहत हैं। लोकगायक उदयचंद्र परदेशी कहते हैं कि हीरालाल का दुनिया से जाना उनकी व्यक्तिगत क्षति है। पुरानी यादों में खोते हुए वह बताते हैं कि हीरालाल शरीर से पहलवान थे, लेकिन उनका मन अत्यंत कोमल था। बिरहा गायन को वह घर-घर पहुंचाना चाहते थे। इसके लिए वह जीवनभर सक्रिय रहे। जहां बैठते बिरहा गायन की खासियत लोगों को बताने लगते थे। प्रयागराज के बिरहा गायक स्व. कैलाश यादव व हीरालाल के साथ मैंने कई कार्यक्रम किए। आकाशवाणी के 'रेडियो संसद' कार्यक्रम में अक्सर हमारी मुलाकात होती थी। प्रयागराज के अलावा बनारस, गोरखपुर, भोपाल में भी साथ-साथ कार्यक्रम किया है।
उदयचंद्र परदेशी कहते हैं कि हीरालाल कहते थे कि मैं तो प्रयागराज आने का बहाना ढूंढता हूं। यहां आकर बिरहा की प्रस्तुति देने में मुझे जो खुशी मिलती है वह कहीं और नहीं प्राप्त होती। गायिका उमा दीक्षित कहती हैं कि हीरालाल को बिरहा गायन को नई ऊंचाई प्रदान करने का श्रेय है। वह अपनी कला के प्रति समर्पित कलाकार थे। गायिका स्वाति निरखी कहती हैं कि हीरालाल की कमी कभी पूरी नहीं की जा सकती। वह नए कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए भी सक्रिय रहे।
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