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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की बड़ी पहल: कोरोना के कारण माता-पिता से वंचित विद्यार्थियों को मिलेगी मुफ्त शिक्षा

Big Initiative of Allahabad University इलाहाबाद यूनिवर्सिटी12वीं तक की की पढ़ाई पूरी कर लेने वाले निराश्रित बच्चों की आगे की पढ़ाई का पूरा व्यय-भार वहन करेगी। ऐसे बच्चों को अनिवार्य रूप से दिवंगत माता-पिता की मृत्यु का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 11:56 AM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 11:56 AM (IST)
केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने भी बड़ी पहल की

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण माता-पिता के निधन से अनाथ बच्चों को उत्तर प्रदेश सरकार के सहारा देने के बाद अब केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने भी बड़ी पहल की है। कोरोना के कहर से माता-पिता से वंचित बच्चों को इलाहाबाद यूनिवर्सिटीमुफ्त शिक्षा देगी।

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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी12वीं तक की की पढ़ाई पूरी कर लेने वाले निराश्रित बच्चों की आगे की पढ़ाई का पूरा व्यय-भार वहन करेगी। ऐसे बच्चों को अनिवार्य रूप से दिवंगत माता-पिता की मृत्यु का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। उत्तर प्रदेश राजॢष टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की तर्ज पर अब इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) भी अनाथ छात्र-छात्राओं को मुफ्त में पढ़ाएगा। यह सुविधा कोरोना से अपने माता-पिता को खो देने वालों को ही मिलेगी। कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने जिला प्रशासन को इसका प्रस्ताव भी भिजवाया है।

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सहायक जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर चित्तरंजन कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि कोरोना महामारी ने पिछले दो वर्ष में देश के जनजीवन पर गहरा असर डाला है। मानसिक, शारीरिक और आॢथक तौर पर लाखों लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। एक अनुमान के मुताबिक करीब नौ हजार बच्चों ने महामारी में माता-पिता को खो दिया है। ऐसी स्थिति में बच्चों की समुचित सुरक्षा और उनका उचित पालन-पोषण बड़ी चुनौती है।

कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षा का केंद्र होने के कारण इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय अपनी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी समझता है। जिन बच्चों ने कोरोना संक्रमण के कारण अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है, उनकी आगे की पढ़ाई की व्यवस्था विश्वविद्यालय करेगा। अब कक्षा 12 वीं उत्तीर्ण कर चुके छात्र-छात्राओं की आगे की पढ़ाई का पूरा भार विश्वविद्यालय सुपर न्युमेरी (आर्थिक रूप से कमजोर) कोटे के तहत वहन करेगा। इन सभी के लिए यहां अलग से सीटें आरक्षित की जाएंगी।

इससे पहले भी तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अपने हॉस्टल्स को कोविड वार्ड बनाने का फैसला लिया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस दौरान तमाम हॉस्टल में रह रहे स्टूडेंट से हॉस्टल खाली करने की अपील की थी। 


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