दरभंगा कालोनी में आतंक फैलाने वाले बंदर को पकडऩे में लगे थे 15 दिन Prayagraj News
शहर के विभिन्न इलाकों में इन दिनों बंदरों का आतंक बढ़ गया है। काटकर लोगों को घायल कर रहे हैं। इससे लोग परेशान हैं। समझदार प्राणी होने की वजह से इसे पकड़ पाना आसान नहीं रहता है।
प्रयागराज, जेएनएन। दो साल पहले दरभंगा कॉलोनी, बाबाजी का बाग और मेडिकल कॉलेज के छात्रावास में एक बंदर का आंतक था। बंदर रोजाना आठ से 10 लोगों को काट लेता था। उस बंद को पकडऩे के लिए 15 दिन कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। तब जाकर वह पकड़ा जा सका था। इसलिए जब बंदरों की समस्या शहर के मोहल्लों में बढ़ती है तो लोगों को कई दिनों तक परेशानी झेलनी होती है।
समझदार प्राणी होने से बंदरों को पकड़ा आसान नहीं होता
बंदर बहुत समझदार वन्य प्राणी होता है। इसलिए उसे पकडऩा आसान नहीं रहता। जहां बंदरों की समस्या होती है, वहां पर पिंजरा तो लगा दिया जाता है। हालांकि बंदर रोटी और फल खाने के बाद भाग जाता है। दवा मिलाने पर रोटी भी नहीं खाता है। एक बंदर को पकडऩे में कई दिन लग जाते हैं। कर्नलगंज के पार्षद आनंद घिल्डियाल बताते हैं कि दरभंगा कॉलोनी के बंदर को पकडऩे के लिए 15 दिन लग गए थे। वह टारजन के साथ रोज सुबह और शाम को तीन घंटे मशक्कत करते थे। बंदर को पकडऩे बाद उसे वन विभाग को सौंप दिया था।
एक महीने से नगर आयुक्त आवास के पास बंदर का है आतंक
नगर आयुक्त के आवास के पास पिछले एक महीने से बंदर आता है। उसे पकडऩे के लिए एक सप्ताह तक पिंजरा भी लगाया गया, लेकिन बंदर पिंजरे में नहीं आया। आखिर में पिंजरे को हटा दिया गया। अभी भी बंदर नगर आयुक्त के आवास के पास दिखाई देता है।
पकडऩे पर मिलते हैं 14 सौ रुपये
नगर निगम अगर किसी मोहल्ले में बंदर को पकड़वाता है तो उसके लिए 14 सौ रुपये का भुगतान करता है। एक बंदर को पकडऩे में कई दिन लग जाते हैं। सिर्फ 14 सौ रुपये मिलते हैं। इसलिए यह काम कोई नहीं करना चाहता है। प्रयागराज में टारजन नामका व्यक्ति कई सालों से बंदर पकड़ता है। इसलिए वह यह काम करने को तैयार हो जाता है। अगर बंदरों की समस्या कई मोहल्लों में होती है तो वह नहीं जा पाता है। क्योंकि बंदर को सुबह या शाम को पकडऩे में आसानी होती है।