एक मरीज का इलाज करके ही बन गए 'आयुष्मान' Prayagraj News
केंद्र सरकारी की आयुष्मान योजना निजी अस्पतालों के लिए कमाई का जरिया बन गई है। कुछ अस्पताल तो ऐसे हैं जहां अभी तक केवल एक ही मरीज का इलाज किया जा सका है।
By Edited By: Published: Sun, 28 Jul 2019 11:32 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2019 07:50 AM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत को निजी अस्पताल संचालक गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इलाज के लिए आने वाले लाभार्थियों को कोई न कोई बहाना बनाकर लौटा दिया जाता है। जनपद के 18 ऐसे निजी अस्पताल हैं जिन्होंने सात माह में महज एक मरीज का इलाज कर मात्र खानापूर्ति की है। इन सभी को नोटिस भेजकर सूची से बाहर करने की कवायद चल रही है।
जिन अस्पतालों ने किसी लाभार्थी का नहीं किया इलाज, सूची से बाहर होंगे
इसी तरह 18 ऐसे निजी अस्पताल हैं जिन्होंने एक भी लाभार्थियों का इलाज नहीं किया है। उन्हें भी सूची से बाहर किया जाएगा। आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी परिवार को पांच लाख रुपये तक निश्शुल्क इलाज की व्यवस्था दी गई है। इसमें सरकारी के साथ निजी अस्पताल भी शामिल हैं। सरकारी अस्पतालों में तो इस योजना का लाभ मिल रहा है लेकिन बड़े निजी अस्पताल इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं। यही कारण है मरीजों को वे लौटा देते हैं।
प्रत्येक माह निजी अस्पताल को एक मरीज का इलाज कराना जरूरी है
नियम है कि निजी अस्पताल प्रत्येक माह आयुष्मान भारत के कम से कम एक मरीज का इलाज अपने अस्पताल में करे लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। स्थिति तो यह है कि करीब सात माह में 18 ऐसे निजी अस्पताल हैं जो महज एक मरीज का इलाज करके खानापूर्ति कर चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग इस तरह के निजी अस्पतालों पर शिंकजा कसने की तैयारी में है। ऐसे अस्पतालों को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा।
क्या कहते हैं आंकड़े
जनपद में कुल दो लाख 73 हजार आयुष्मान योजना के लाभार्थी हैं योजना के तहत कुल 162 अस्पताल सूचीबद्ध हैं 15 सरकारी अस्पताल व 147 प्राइवेट अस्पताल शामिल हैं अब तक एक लाख चार हजार लाभार्थियों का गोल्डेन कार्ड बन चुका है। कुल 6500 मरीजों का इलाज किया गया है।
बोले नोडल अधिकारी
आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी डॉ. राहुल सिंह कहते हैं कि ऐसे निजी अस्पतालों की सूची तैयार कर ली गई है। इन्हें नोटिस देकर सूची से बाहर कर दिया जाएगा।
जिन अस्पतालों ने किसी लाभार्थी का नहीं किया इलाज, सूची से बाहर होंगे
इसी तरह 18 ऐसे निजी अस्पताल हैं जिन्होंने एक भी लाभार्थियों का इलाज नहीं किया है। उन्हें भी सूची से बाहर किया जाएगा। आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी परिवार को पांच लाख रुपये तक निश्शुल्क इलाज की व्यवस्था दी गई है। इसमें सरकारी के साथ निजी अस्पताल भी शामिल हैं। सरकारी अस्पतालों में तो इस योजना का लाभ मिल रहा है लेकिन बड़े निजी अस्पताल इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं। यही कारण है मरीजों को वे लौटा देते हैं।
प्रत्येक माह निजी अस्पताल को एक मरीज का इलाज कराना जरूरी है
नियम है कि निजी अस्पताल प्रत्येक माह आयुष्मान भारत के कम से कम एक मरीज का इलाज अपने अस्पताल में करे लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। स्थिति तो यह है कि करीब सात माह में 18 ऐसे निजी अस्पताल हैं जो महज एक मरीज का इलाज करके खानापूर्ति कर चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग इस तरह के निजी अस्पतालों पर शिंकजा कसने की तैयारी में है। ऐसे अस्पतालों को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा।
क्या कहते हैं आंकड़े
जनपद में कुल दो लाख 73 हजार आयुष्मान योजना के लाभार्थी हैं योजना के तहत कुल 162 अस्पताल सूचीबद्ध हैं 15 सरकारी अस्पताल व 147 प्राइवेट अस्पताल शामिल हैं अब तक एक लाख चार हजार लाभार्थियों का गोल्डेन कार्ड बन चुका है। कुल 6500 मरीजों का इलाज किया गया है।
बोले नोडल अधिकारी
आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी डॉ. राहुल सिंह कहते हैं कि ऐसे निजी अस्पतालों की सूची तैयार कर ली गई है। इन्हें नोटिस देकर सूची से बाहर कर दिया जाएगा।
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